प्रसूताओं को परिवार नियोजन के उपयुक्त साधन अपनाने की जरूरत

एएनएमएमसीएच के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग के सेमिनार हॉल में पीएसआइ इंडिया की ओर से संचालित टीसीआइ कार्यक्रम के तहत विभागाध्यक्ष डॉ लता शुक्ला द्विवेदी की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | June 11, 2024 8:00 PM

गया. एएनएमएमसीएच के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग के सेमिनार हॉल में पीएसआइ इंडिया की ओर से संचालित टीसीआइ कार्यक्रम के तहत विभागाध्यक्ष डॉ लता शुक्ला द्विवेदी की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को किया गया. इसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ, नर्सिंग स्टाफ, अस्पताल प्रबंधक, परिवार नियोजन परामर्शी व अन्य परामेडिकल स्टाफ आदि मौजूद थे. विभागाध्यक्ष ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य मुख्य रूप से स्वास्थ्यकर्मियों को प्रसव पश्चात व गर्भपात के बाद परिवार नियोजन सेवाओं के महत्व के प्रति जागरूक करना है. सभी प्रसूताओं को परिवार नियोजन के उपयुक्त साधन अपनाने के लिए सही और संपूर्ण जानकारी के साथ सेवा प्रदान करना है, ताकि अगले गर्भ धारण में कम से कम दो वर्ष का अंतराल सुनिश्चित हो सके. उन्होंने बताया कि ऐसा कर के हम मातृ मृत्यु व नवजात मृत्यु के दर को कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन कर सकते हैं. पीएसआइ इंडिया के कार्यक्रम प्रबंधक अजय कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर कुल प्रजनन दर के वंचित लक्ष्य हासिल कर लिया गया है. क्षेत्रीय असमानताओं के चलते तीन या तीन से ज्यादा का दर चल रहा है. बिहार का भी कुल प्रजनन दर तीन है, जो कि सरकार और स्वास्थ्य संस्थानों तथा विभिन्न एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रीना कुमारी ने बताया कि सामान्यतया प्रसव के बाद महिला एक माह तक ही प्राकृतिक रूप से गर्भ-धारण से सुरक्षित रहती है और इसके बाद वह मासिक धर्म प्रारंभ हुए बिना भी गर्भ-धारण कर सकती है. मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत ही खतरनाक होता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए गर्भ निरोधक साधन का समुचित प्रयोग करना प्रत्येक महिला के लिए आवश्यक हो जाता है.

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