पाठ्यक्रमों में व्यावसायिक कौशल को एकीकृत करने की जरूरत
सीयूएसबी में संचालित मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) द्वारा यूजीसी एमएमटी-पीपी, शिक्षा मंत्रालय की योजना के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ.
गया. सीयूएसबी में संचालित मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) द्वारा यूजीसी एमएमटी-पीपी, शिक्षा मंत्रालय की योजना के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अभिमुखीकरण एवं संवेदीकरण विषय पर आयोजित ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषज्ञों द्वारा कई पहलुओं पर चर्चा की गयी. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के नेतृत्व में ऑनलाइन माध्यम से एमएमटीटीसी के निदेशक डॉ तरूण कुमार त्यागी की देखरेख में किया गया है. इस कार्यक्रम में देश के 11 राज्यों से उच्च शिक्षा के 60 से अधिक शिक्षकों एवं शोधकर्ताओं ने सहभागिता की है. कार्यक्रम का संचालन लेफ्टिनेंट (डॉ) प्रज्ञा गुप्ता ने किया. कार्यक्रम के शुरुआत में डॉ तरुण कुमार त्यागी ने 21वीं सदी के संज्ञानात्मक कौशल विकास पर गहन चर्चा की. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पांच स्तंभों के महत्व को समझाते हुए पाठ्यक्रम में कौशल को एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला और कौशल विकास अधिगम केंद्रीय शिक्षा बनाने की रणनीतियों पर चर्चा की. सत्र के अंत में तमन्ना झा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. दूसरे वक्ता प्रोफेसर मोना खरे ने उच्च शिक्षा में वित्तीय नियोजन और आंतरिक संसाधन जुटाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, क्योंकि एनईपी 2020 के अनुसार उच्च शिक्षा में बजट का 30 प्रतिशत संसाधन, संस्थान द्वारा द्वारा ही अर्जन किये जाने का प्रावधान है, जिसने उच्च शिक्षा संस्थानों का सतत विकास किया जा सके. प्रो राजीव के पाठक ने स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में व्यावसायिक शिक्षा के प्रति भारतीय हितधारकों के दृष्टिकोण की व्याख्या करके अपने विचार -विमर्श की शुरुआत की. उन्होंने भारत में वोकेशनल एजुकेशन की वर्तमान स्थिति के बारे में भी उल्लेख करते हुए पाठ्यक्रमों में व्यावसायिक कौशल को एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला और व्यावसायिक कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियों पर भी चर्चा की. सत्र के अंत में डॉ सौरभ कपूर ने धन्यवाद ज्ञापन किया. अंत में प्रोफेसर रेखा अग्रवाल ने उच्च शिक्षा में शोध परियोजना प्रस्ताव और गुणवत्ता प्रकाशन के विषय पर विस्तारपूर्वक वर्णन किया. उन्होंने नये ज्ञान के सृजन और शोध के महत्व के बारे में भी संक्षेप में बताया. उन्होंने सहयोग कार्य और नवाचार के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने अध्ययन के साथ शोध के एकीकरण के महत्व और उस संस्थान के परिणामों के बारे में भी बताया जहां शोध और अध्ययन एकीकृत होते हैं.
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