गया. एएनएमएमसीएच से प्राइवेट अस्पतालों के दलालों के चक्कर में भागनेवाले मरीजों के वापस एडमिट होने के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इससे यह भी साफ हो जाता है कि यहां से प्राइवेट अस्पताल जाने के बाद आर्थिक दोहन के दौरान जेब खाली होने पर दोबारा यहां ही उन्हें भेज दिया जाता है. हालांकि इसमें बहुत कम ही मरीजों की जान बच पाती है. हालिया जांच में देखा गया है कि इमरजेंसी के 14 बेड के आइसीयू में आठ बेड पर दोबारा यहां पर आनेवाले मरीज ही रहते हैं. इसमें हर किसी का अलग दुखड़ा भी होता है. कोई कहता है 80 हजार, तो कोई तीन से आठ लाख तक प्राइवेट अस्पताल वालों ने ले लिया. सबसे अधिक गंभीर बात है कि पिछले एक वर्ष में यहां इलाज के लिए 48422 मरीज भर्ती कराये गये. इसमें 16465 मरीज लामा ( लिविंग अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस ) हो गये हैं. इसका मतलब यहां भर्ती मरीज की संख्या से करीब 34 प्रतिशत मरीज लामा हो गये. अस्पताल सूत्रों का कहना है कि यहां रेग्युलर इलाज में वही मरीज रहते हैं, जिनके यहां पर परिजन या परिचित कर्मचारी हैं या फिर पैसे के तंगी का सामना कर रहे हैं. मरीज के आने-जाने के लिए किसी के तरफ से पूछताछ नहीं होती है.
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