गया में दलालों और महंगे इलाज से मरीज परेशान, ANMMCH में लौटकर दोबारा हो रहे एडमिट
एएनएमएमसीएच से दोबारा भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. अस्पताल परिसर में भर्ती होने के बाद कई मरीज दलालों के बहकावे में आकर निजी अस्पतालों में चले जाते हैं. लेकिन वहां के खर्चों के बाद वापस एएनएमएमसीएच लौटने को मजबूर हो रहे हैं
जितेंद्र मिश्रा, गया. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज (ANMMCH) से प्राइवेट अस्पतालों के दलालों के चक्कर में भागने वाले मरीजों के वापस एडमिट होने के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इससे यह साफ हो जाता है कि यहां से प्राइवेट अस्पताल जाने के बाद आर्थिक दोहन के दौरान जेब खाली होने पर दोबारा मरीज को एएनएमएमसीएच भेज दिया जाता है. हालांकि, इसमें बहुत कम ही मरीजों की जान बच पाती है.
ANMMCH में 34 फीसदी मरीज लामा
जांच में देखा गया है कि इमरजेंसी के 14 बेडों के आइसीयू में आठ बेडों पर दोबारा यहां पर आने वाले मरीज ही रहते हैं. इसमें हर किसी का अलग दुखड़ा भी होता है. कोई कहता है 80 हजार, तो कोई तीन से आठ लाख रुपये तक प्राइवेट अस्पताल वालों ने ले लिये. सबसे अधिक गंभीर बात है कि पिछले एक वर्ष में एएनएमएमसीएच में इलाज के लिए 48422 मरीज भर्ती कराये गये हैं. इसमें 16465 मरीज लामा ( लिविंग अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस) हो गये हैं. इसका मतलब यहां भर्ती मरीजों की संख्या में करीब 34 प्रतिशत मरीज लामा हो गये.
अस्पताल सूत्रों का कहना है कि यहां रेगुलर इलाज में वही मरीज रहते हैं, जिनके यहां पर परिजन या परिचित कर्मचारी हैं या फिर पैसे की तंगी का सामना कर रहे हैं. मरीजों के आने-जाने के लिए किसी की तरफ से पूछताछ नहीं होती है.
ANMMCH में भर्ती मरीजों की स्थिति
- अप्रैल-2023 से मार्च 2024 तक – 48422 भर्ती – 16465 गये दूसरी जगह
- अप्रैल-2024- 3784 भर्ती – 1200 गये दूसरी जगह
- मई-2024- 4410 भर्ती -1800 गये दूसरी जगह
कुछ बरगलाने, तो कई इलाज में देरी से हो रहे गायब
अस्पताल परिसर में मरीजों के भर्ती होने के बाद ही उन्हें प्राइवेट अस्पताल में ले जाने के लिए दलाल सक्रिय रहते हैं. दलालों के बरगलाने पर कई मरीज उनके साथ चले जाते हैं. कुछ मरीज इलाज में देरी के चलते अपने मन से प्राइवेट अस्पताल में चले जाते हैं. जिनके पास पैसाें की कमी होती है या फिर पैरवी वाले होते हैं, वे ही यहां पर रह पाते हैं. देखा जाये, तो मरीज इमरजेंसी से लेकर जेनरल वार्ड तक लामा होते हैं.
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लगाम लगाने की हो रही कोशिश
मरीजों को यहां से बाहर नहीं जाना पड़े, इसके लिए कई स्तर पर व्यवस्था को ठीक किया जा रहा है. सिक्यूरिटी को भी सख्त निर्देश दिया गया है. मरीजों के जाने से पहले इसकी सूचना तुरंत ही वार्ड इंचार्ज को दी जाये. ताकि, उसकी दिक्कत को समझ कर सुलझाया जा सके. प्राइवेट अस्पताल में जाने के बाद दो-चार दिनों के बाद मरीज दोबारा यहां चले आते हैं. लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है.
डॉ एनके पासवान, उपाधीक्षक, एएनएमएमसीएच