गया : पूरी दुनिया में गयाजी को मोक्ष धाम के रूप में जाना जाता है. यहां आदि काल से पिंडदान की परंपरा रही है. प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में यहां 17 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पितृपक्ष मेले का आयोजन होता आ रहा है. अपने पितरों के मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर देश-विदेश से प्रत्येक वर्ष इस मेले में लाखों श्रद्धालु यहां आकर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण करते हैं. व्यस्त रहने व आने में असमर्थ तीर्थयात्रियों के लिए बिहार सरकार के पर्यटन विकास निगम व टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन ने ऑनलाइन पिंडदान टूर पैकेज व ई-पिंडदान पैकेज लांच किया है. ऑनलाइन पिंडदान टूर पैकेज के माध्यम से पिछले पांच वर्षों में एक सौ से अधिक तीर्थयात्री लाभान्वित हुए जबकि ई-पिंडदान पैकेज से पिछले दो वर्षों में केवल सात तीर्थयात्रियों ने ही पिंडदान किया. ऑनलाइन पिंडदान टूर पैकेज व ई-पिंडदान पैकेज के अधिकृत पंडा सुनील कुमार भैया ने बताया कि ई-पिंडदान पैकेज की शुरुआत पर्यटन विकास निगम के द्वारा वर्ष 2018 में की गयी थी.
पहले वर्ष में केवल एक तीर्थयात्री ही इस पद्धति के माध्यम से पिंडदान करवाया था. वर्ष 2019 में इसकी संख्या बढ़कर छह हो गयी थी. वर्ष 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण अभी तक पर्यटन विकास निगम के द्वारा उक्त पैकेज के माध्यम से पिंडदान को लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पिंडदान टूर पैकेज में तीर्थयात्रियों सशरीर उपस्थित होकर पिंडदान करना होता है. जबकि ई-पिंडदान पैकेज में तीर्थयात्रियों से पर्यटन विकास निगम एक निर्धारित राशि वसूल कर पंडा के माध्यम से पिंडदान करवाता है. उन्होंने बताया कि हिंदू संस्कृति में विशेषकर पिंडदान से जुड़े कर्मकांड करने के लिए तीर्थयात्रियों को सशरीर आने की मान्यता है. यह पैकेज केवल उन पिंडदानियों के लिए शुरू किया गया है, जो शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं व लंबी दूरी तय कर मोक्ष धाम तक नहीं आ सकते हैं. उन्होंने बताया कि यही कारण है कि ई-पिंडदान पैकेज से तीर्थयात्रियों का जुड़ाव काफी कम हो सका है.
ई-पिंडदान पैकेज का गया पाल तीर्थ पुरोहित सहित पंडा समाज के लोगों द्वारा विरोध किये जाने के कारण भी इस पर असर पड़ा है. गया पाल तीर्थ पुरोहित के महामंत्री मणि लाल बारीक ने बताया कि हिंदू संस्कृति में ई-पिंडदान ऑनलाइन पद्धति से पूजा-अर्चना व पिंडदान का कोई महत्व नहीं है. धार्मिक कर्मकांड के लिए सशरीर उपस्थिति जरूरी है. बिहार सरकार के पर्यटन विकास निगम द्वारा जब यह पैकेज शुरू की, तभी से पंडा समाज विरोध कर रहे हैं. अधिकतर तीर्थयात्री भी स्वयं आकर कर्मकांड करना उचित समझते हैं.
पंडा सुनील कुमार भईया ने बताया कि ई-पिंडदान स्थानीय स्तर पर एक प्रतिनिधि रखकर कराया जाता है. उन्होंने बताया कि पिंडदान से जुड़े सामानों की खरीदारी, पिंडदान का कर्मकांड सहित सभी कामों का वीडियोग्राफी करवा कर पर्यटन विकास निगम के माध्यम से तीर्थयात्रियों के पास भेज दिया जाता है. इस कर्मकांड के लिए किसी को भी प्रतिनिधि बनाया जा सकता है.
posted by ashish jha