गया. बहुत पुरानी कहावत है- जहां चाह वहीं राह. यानी मन में जिसकी चाहत हो और उसके लिए संबंधित व्यक्ति प्रयास करता रहे तो उसे सफलता मिलना तय है. ठीक इसी तरह के कहावत को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की एक निर्धन व निःसंतान दंपति ने चरितार्थ किया है.
पिंडदान के निमित्त उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से पहुंचे राधेश्याम व इनकी पत्नी कांता देवी ने बताया कि इनके पूर्वज सपने में आते हैं. उनके मोक्ष व मुक्ति के लिए पिंडदान का कर्मकांड गयाजी में करने की तमन्ना थी. लेकिन पास में पैसे नहीं रहने से यह संभव नहीं हो पा रहा था.
दंपति ने आखिरकार किसी तरह पांच सौ रुपये इकट्ठा किये और इस कर्मकांड को करने के लिए गयाजी पहुंच गए. पितृ पक्ष मेला क्षेत्र में इधर-उधर भटकने के दौरान पित्तल किवाड़ वाले दुर्गा पंडाजी से मुलाकात हुई. इसके बाद पंडा जी ने दंपति की काफी मुश्किल कम कर दी.
गया पहुंचे इस दंपति ने बताया कि अपनी व्यथा जब उन्हें पंडाजी को सुनाई तो उन्होंने पिंडदान से जुड़े सामानों, आवासन, भोजन के साथ जाने तक के किराये की व्यवस्था उन्होंने करने का आश्वासन दिया. साथ में पहले दिन से ही सामग्री की व्यवस्था कर पिंडदान का कर्मकांड भी शुरू करा दिया है.
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यह दंपति मुजफ्फरनगर के गौशाला मुहल्ला के रहने वाले हैं. इधर, गयापाल पंडा दुर्गा जी ने बताया की यह लोग मेरे धर्मशाला के पास आये हुए थे तब हमने इनसे बात किया तो इन लोगों ने अपने बारे में बताया तब हमने इन लोगों को कहा की हम आपका पिंडदान करायेंगे आपका बेटा नहीं है तो हम धर्म का बेटा बनकर आप दोनों को तीन दिन का पिंडदान करायेंगे और इस तीन दिनों में आने वाले सभी प्रकार के खर्च को भी हम उठाएंगे
इनपुट- पंकज