Pitru Paksha 2022: बिहार के गया में पितृपक्ष मेला शुरू हो गया है. पिंडदानी अब फल्गु नदी के किनारे श्राद्ध और तर्पण कर सकेंगे. पितृपक्ष 10 सिंतंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक रहेगा. इस 16 दिन की अवधि को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि जिनके माता-पिता अपने परिवार से नाराज होते हैं, उनके जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पिता की आत्मा की शांति और पितृदोष की रोकथाम के लिए श्राद्ध कर्म करना बहुत जरूरी होता है. श्राद्ध और तर्पण अपने घर पर भी करके अपने पितर को प्रसन्न कर सकते है. श्राद्ध पक्ष में कई चीजों को करने की मनाही होती है. मान्यता है कि श्राद्धपक्ष के दौरन भूल से भी की गयी गलती के कारण घर में अशांति और कलह बना रहता है.
जिनके कुंडली में पितृ दोष रहता है, उन लोगों को श्राद्ध पक्ष में विधि पूर्वक निवारण के लिए उपाय करना चाहिए. जिनके माता-पिता उनसे नाराज होते हैं, उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कभी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है तो कभी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बनी रहती है. घर में हमेश कहल बना रहता है. संतान से संबंधित भी परेशानी झेलना पड़ता है. इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में भी कई प्रकार की परेशानिया होती रहती है. अगर आपके साथ भी इस तरह की समस्याएं बनी हुई है तो यह पितृ दोष का संकेत है. इसलिए पिता की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करना आवश्यक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति पर तीन तरह के कर्ज होते हैं. भगवान का कर्ज, ऋषि का कर्ज और पिता क कर्ज. श्राद्ध कर्म करने से इन तीनों कर्ज से मुक्ति मिलती है.
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श्राद्ध पक्ष में विवाह, गृह प्रवेश आदि कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
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पितृपक्ष में लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए.
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श्राद्ध कर्म दिन में ही करें. सूर्यास्त के बाद श्राद्ध और तर्पण न करें.
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श्राद्ध कर्म के दौरान मांसाहारी भोजन से परहेज करें.
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पिंडदान करने वाले व्यक्ति को पितृपक्ष में अपने नाखून या बाल नहीं काटने चाहिए.
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किसी जानवर या पक्षी को परेशान नहीं करना चाहिए.
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श्राद्ध के दौरान कौवे और कुत्ते को भोजन जरूर कराएं.