Pitru Paksha 2024: गया में डेढ़ लाख तीर्थयात्रियों ने किया पिंडदान, प्रेतशिला वेदी स्थलों पर रही भीड़

Pitru Paksha 2024 In Gaya: पितृपक्ष मेला का तीसरा दिन आज उत्तर मानस, पंच तीर्थ, विष्णुपद स्थित भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान कराकर उनका पूजन किया. वहीं उत्तर मानस, पंच तीर्थ, प्रेतशिला वेदी स्थलों पर पूरे दिन जुटी रही भीड़

By Radheshyam Kushwaha | September 19, 2024 9:32 PM

Pitru Paksha 2024 In Gaya

संजीव/ गया. पितृपक्ष मेला के तीसरे दिन गुरुवार को उत्तर मानस, पंच तीर्थ, प्रेतशिला सहित कई अन्य वेदी स्थलों पर देश के विभिन्न राज्यों से आये डेढ़ लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने अपने पितरों की आत्मा को ठौर दिलाया. भादो पूर्णिमा व आश्विन मास की पहली तिथि के एक ही दिन होने से जो तीर्थयात्री 18 सितंबर को प्रेतशिला, रामशिला, राम कुंड व कागबलि वेदी स्थलों पर पिंडदान नहीं कर सके थे, उन्होंने गुरुवार को इन वेदी स्थलों पर अपने पूर्वजों का कर्मकांड पूरा किया.

सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति के लिए पंचतीर्थ में किया श्राद्ध

विधान के तहत इसके बाद तीर्थयात्रियों ने सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति के लिए पंचतीर्थ में श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण किया. विधान के तहत तीर्थयात्रियों ने भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान भी कराया. मान्यता है कि भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान नहीं कराने वाले श्रद्धालुओं के पिंडदान का कर्मकांड निष्फल हो जाता है. इसी विधान व मान्यता के तहत रविवार को श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति की कामना को लेकर पंच तीर्थ वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड पूरा किया.

पांच वेदी स्थलों पर भी पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान

मान्यता है कि पंच तीर्थ श्राद्ध करनेवाले पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. इन वेदी स्थलों पर श्राद्धकर्म करनेवाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. पंच तीर्थ विधान के तहत शहर के पिता महेश्वर मुहल्ला स्थित उत्तर मानस वेदी व शहर के दक्षिणी क्षेत्र विष्णुपद के पास सूर्यकुंड, उदीची, कनखल व जिव्हालोल वेदी है. इन पांच वेदी स्थलों पर भी पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान है. धामी पंडा भवानी पांडेय ने बताया कि इन पांच वेदी स्थलों पर पिंडदान करनेवाले श्रद्धालुओं के पितरों को सूर्य व स्वर्ग लोक की प्राप्ति होने की मान्यता है व पिंडदान का कर्मकांड करने वाले श्रद्धालुओं को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

उत्तर मानस वेदी पर पिंडदान के कर्मकांड का विधान

उन्होंने बताया कि पंचतीर्थ श्राद्ध में सबसे पहले उत्तर मानस वेदी पर पिंडदान के कर्मकांड का विधान है. इस कर्मकांड को पूरा करने के बाद श्रद्धालु मौन रहकर दक्षिण मानस वेदी यानी सूर्यकुंड, उदीची, कनखल व जिव्हालोल वेदी पर पिंडदान का कर्मकांड किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस विधान के तहत पंच तीर्थ वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण करने वाले सभी श्रद्धालु विष्णुपद स्थित भगवान गदाधर जी को पंचामृत स्नान कराकर उनका पूजन किया. ऐसा करने से श्रद्धालुओं को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.

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आज सरस्वती स्नान, मातंगवापी श्राद्ध, धर्मारण्य श्राद्ध व बौद्ध दर्शन का है विधान

पितृपक्ष मेला के पांचवें दिन बोधगया स्थित सरस्वती स्नान, पंचरत्न दान, मातंगवापी श्राद्ध, धर्मारण्य कूप के मध्य में श्राद्ध व बौद्ध दर्शन का विधान है. श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने बताया कि 17 दिवसीय पितृपक्ष मेले के चौथे दिन में पंच तीर्थ व अन्य वेदी स्थलों पर पिंडदान व तर्पण का कर्मकांड नहीं कर सके हैं, वे सभी 20 सितंबर को इन वेदी स्थलों पर भी पिंडदान का कर्मकांड करेंगे.

तीर्थयात्रियों ने क्या कहा

पितरों को पिंडदान करने के लिए पहली बार गयाजी आये हैं. काफी अच्छा लग रहा है. सभी तरह की व्यवस्थाएं ठीक हैं. मच्छर अधिक रहने से रात में दिक्कत हो रही है.
आरके सिंह, मध्य प्रदेश

तीन वर्ष पहले भी यहां पिंडदान के लिए आये थे. तब पानी की काफी दिक्कत हुई थी. इस बार फल्गु नदी में भी अथाह पानी है. बहुत अच्छी व्यवस्था लग रही है.
विजय कुमार भगत, झारखंड

एक दिन के लिए यहां आये हैं. बस द्वारा सड़क मार्ग यहां पहुंचे हैं. कोई होटल या सरकारी आवासान में न ठहरकर, सभी अपने बस में ही रह रहे हैं. कर्मकांड में कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई है.
राम नारायण प्रसाद, वाराणसी

काफी भीड़ है, इसके बाद भी कोई परेशानी नहीं हुई. कहीं-कहीं पर जाम लगने से आने जाने में थोड़ी बहुत दिक्कत हो रही है. प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. बाकी सभी सुविधाएं बेहतर हैं.
हरि तांती, गोड्डा, झारखंड

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