Pitru Paksha 2024 in Gaya: गया में पूर्णिमा का श्राद्ध आज, पितृपक्ष कल से शुरू, जानें सभी प्रमुख तिथियां
Pitru Paksha 2024 in Gaya: विश्व प्रसिद्ध 17 दिवसीय पितृपक्ष मेला महासंगम आज मंगलवार से परारंभ हो गया. इसका उद्घाटन डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा व समराट चौधरी, गया के सांसद सह केद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप जायसवाल ने किया.
Pitru Paksha 2024 in Gaya: भादपद के शुक्ल पक्ष की अनंत चतुर्दशी यानि आज विशकर्मा पूजा के दिन से 17 दिवसीय मेले की शुरुआत हो गयी है. गांधी जयंती दो अकतूबर को इसका समापन होगा. मेले में देश-विदेश से सनातन धर्मावलंबी अपने पूर्वजों के पिंडदान व तर्पण के लिए पहुंच रहे है. मेला परिसर को दुल्हन की सजाया गया है. पंडा समाज की माने, तो आज करीब 40 हजार पिंडदानियों पूर्णिमा का पिंडदान-तर्पण किया है.
भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध आज
पंडा समाज के अनुसार, आज भाद्रपद पूर्णिमा है. आज ही पूर्णिमा श्राद्ध करने का सही समय रहा. भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृ पक्ष कहते हैं, जिसमें हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं. पूर्वजों का तर्पण व पिंडदान करने का दिन पितृपक्ष 18 सितंबर बुधवार से शुरू हो रहा है. हालांकि इसके एक दिन पहले 17 सितंबर दिन मंगलवार को 11 बजे के बाद पूर्णिमा का श्राद्ध शुरू हो गया. प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को होगी. पितृपक्ष की अमावस्या पितृ विसर्जन 2 अक्तूबर को होगा. इसमें तिथि अज्ञात पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान किया जाएगा.
कब से कब तक किया जाता है श्राद्ध
हृषिकेश पंचाग के अनुसार 17 सितंबर को सुबह 11 बजे तक अनंत चतुर्दशी है. इसके बाद पूर्णिमा होने से पूर्णिमा का श्राद्ध इस दिन से लेकर 18 सितंबर सुबह 8 बजकर 41 मिनट किया जा सकता है. उसके बाद प्रतिपदा लगने से प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को होगा. बहुत से लोग पूर्णिमा का श्रद्ध 17 व प्रतिपदा का श्राद्ध 18 को करेंगे. पितृ विसर्जन 2 अक्तूबर को होगा. इसके बाद पूर्वजों की विदाई हो जाएगी.
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कौन कर सकता है श्राद्ध
सनातन धर्म में बिना पितृकर्म किए देव कर्म करने का अधिकार नहीं है. अतः यह श्राद्ध शास्त्र के अनुकूल है. श्राद्ध का अधिकार केवल पुत्र को है. यदि पुत्र नहीं है तो पौत्र, यदि पुत्र- पौत्र नहीं हैं तो पुत्री का पुत्र व यदि पुत्र और पुत्री दोनों पक्ष के लोग न हों तो परिवार का कोई भी उत्तराधिकारी कर सकता है. जिस पिता के कई पुत्र हैं तो वरिष्ठ पुत्र को करना चाहिए. यदि किसी कारणवश न रहे या अशक्त हो तो कोई पुत्र कर सकता है. यदि उनकी संतान न हो तो भाई की संतान भी श्राद्ध की अधिकारिणी होती है. शास्त्र के अनुसार पुत्र के अभाव में विधवा भी पति का श्राद्ध कर सकती है.
कब कौन सी तिथि
17 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध, 18 सितंबर प्रतिपदा श्राद्ध, 19 सितंबर द्वितीया श्राद्ध, 20 सितंबर तृतीया श्राद्ध, 21 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध, 22 सितंबर पंचमी श्राद्ध, 23 सितंबर पष्ठी श्राद्ध, 24 सितंबर सप्तमी श्राद्ध, 25 सितंबर अष्टमी श्राद्ध, 26 सितंबर मातृ नवमी श्राद्ध, 27 सितंबर दशमी श्राद्ध, 28 सितंबर एकादशी श्राद्ध, 29 सितंबर द्वादशी श्राद्ध, 30 सितंवर त्रयोदशी श्राद्ध, एक अक्तूबर चतुर्दशी श्रद्ध और दो अक्तूबर को अमावस्या श्राद्ध कर्म होगा.