गया जिले में जेइ-एइएस व हीट वेव (Heat Wave) के संभावित खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग जोर-शोर से तैयारी में जुटा है. इसके लिए आशा, सीएचसी, अनुमंडल अस्पताल व पीएचसी के प्रभारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस तरह की किसी भी विपदा के समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से सहजता से निबटा गया है. जेइ-एइएस व हीट वेव के संभावित मरीजों को लेकर हर स्तर पर तैयारी की जा रही है. इसमें जेइ-एइएस के लिए पीएचसी, सीएचसी व अनुमंडल अस्पताल में पंखा, कूलर, एसी लगाने की योजना को पूरी की जा रही है.
बीएमएसआइसीएल को दवा उपलब्ध कराने के लिए लिखा गया है. इसके साथ ही अस्पताल प्रभारियों को निर्देश दिया गया है कि जो दवा बीएमएसआइसीएल उपलब्ध नहीं करायेगा, वह स्थानीय स्तर पर खरीद कर ली जाये. इसके साथ जिला प्रशासन व अस्पताल के डॉक्टरों के अलावा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बैठक कर रहे हैं, ताकि तैयारी में किसी तरह की कमी नहीं रहे.
लोगों को किया जा रहा जागरूक
सूअर के बाड़ा वाली बस्तियों में दवा का छिड़काव किया जा रहा है. इसके साथ ही इस रोग से बचने के लिए लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है. इधर हीट वेव व जेइ-एइएस के लिए जिला व अनुमंडल अस्पतालों में इस मरीज के लिए पांच-पांच बेड व पीएचसी में दो बेड सुरक्षित रखा गया है. अन्य मरीजों के लिए यहां से रेफर करने के बाद एएनएमएमसीएच में व्यवस्था की जायेगी.
Heat Wave के लिए हो रहा विशेष इंतजाम
प्रखंडों व अन्य जगहों से मरीज को रेफर करने से पहले एसी गाड़ी का इंतजाम होगा. हीट वेव के लिए विशेष इंतजाम एएनएमएमसीएच में किया जा रहा है. अस्पताल में आपदा के मरीज के लिए 100 बेड का फेब्रिकेटेड वार्ड पहले से तैयार किया जा चुका है. यहां पर ही डेंगू, कोरोना आदि से पीड़ित मरीजों के लिए व्यवस्था की जा चुकी है.
एइएस मरीज का आंकड़ा
जिले में पिछले साल एक मामला सामने आया था. वह मरीज पटना में भर्ती हुआ था. वहां उसकी जांच के बाद रिपोर्ट दी गयी. 2017 में एइएस के 38 मामले में पांच की मौत हो गयी थी. 2018 में दो मामले, 2019 में 54 मामले इसमें 13 की मौत हो गयी. 2020 में छह मामले में एक मौत हुई. 2021 में छह मामलों में भी एक मौत हुई. 2022 में एक मामला आया व इलाज के दौरान मौत हो गयी.
क्या कहते हैं डॉक्टर
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने बताया कि कुपोषित बच्चों में चमकी बुखार होने के मामले अधिक देखे जाते हैं. चमकी से बचाव के लिए बच्चों को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं. सुबह उठते ही बच्चे को जगाएं और देखें कि वह बेहोशी या चमक की स्थिति में नहीं है. यदि बेहोश है या चमक दिखता है तो उसे तुरंत अस्पताल ले जायें.
उन्होंने बताया कि हीट वेव से बचाव का मुख्य तौर पर उपाय है कि घर के बाहर बिना काम के नहीं निकलें. बाहर निकलने पर भी पूरा कपड़ा पहनें. इसके साथ ही समय-समय पर पेय पदार्थ का सेवन करें. इसके बाद भी चपेट में आने पर तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लें. अस्पताल पहुंच जाएं.
उन्होंने बताया कि ऐसे इन बीमारियों से लोग अप्रैल से हिट वेव व जेइ-एइएस जून से आने की संभावना रहती है. इससे निबटने की सारी तैयारी पूरी की जा रही है. इमामगंज व बांकेबाजार में आशा को ट्रेनिंग दिया जा चुका है. सभी अस्पतालों के प्रभारियों का भी ट्रेनिंग समाप्त हो गया है. मगध मेडिकल अस्पताल के शिशु रोग चिकित्सक डॉ रवींद्र कुमार के साथ अधिकारी बैठक कर चुके हैं.
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