Loading election data...

एक वर्ष में मखाने में 233, तो अरहर दाल के दामों में 48% तक वृद्वि

आसमान छूती महंगाई से विशेष कर मध्यम व गरीब वर्ग के रसोई घरों का बजट पूरी तरह से असंतुलित हो गया है. साथ ही इस बढ़ती महंगाई ने लोगों को स्वरुचि भोजन से दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 13, 2024 6:45 PM

गया. आसमान छूती महंगाई से विशेष कर मध्यम व गरीब वर्ग के रसोई घरों का बजट पूरी तरह से असंतुलित हो गया है. साथ ही इस बढ़ती महंगाई ने लोगों को स्वरुचि भोजन से दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है. ऐसे लोग अब अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार रसोई घरों को सजाने लगे हैं. मध्यम व गरीब वर्ग के परिवारों की थाली से आसमान छूती महंगाई के कारण जहां अरहर दाल लगभग गायब हो गया है. वहीं मखाना खाने के शौकीन लोगों को अपने इस शौक को पूरा करने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. कारोबारियों की माने तो महज एक वर्ष के भीतर मखाने के दामों में 233, तो अरहर दाल में 48 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि हुई है. वर्ष 2023 के मई महीने में खुदरा बाजार में मखाना 360 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, तो अरहर दाल की कीमत 115 से 120 रुपये प्रति किलो थी. किराना व गल्ले के खुदरा कारोबारी बालकृष्ण भारद्वाज ने बताया कि यहां से दूसरे देशों में निर्यात होने के कारण मखाना की कीमत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. गुरुवार को खुदरा बाजार में मखाना का भाव 12 सौ रुपये प्रति किलो रहा. जबकि पैदावार कम होने से अरहर दाल के दामों में उछाल है. उन्होंने बताया कि गुरुवार को खुदरा बाजार में अरहर दाल की कीमत (क्वालिटी के अनुसार) 170 से 175 रुपये प्रति किलो रही. वहीं एक महीने के भीतर चना दाल में 10 रुपये प्रति किलो, मूंग दाल में 10 रुपये प्रति किलो, सरसों में 20 रुपये प्रति किलो, सरसों तेल में 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है. रसोई घरों से जुड़े अन्य सामानों के दामों में भी औसतन एक महीने के अंतराल में आठ से 10 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version