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एक हाथ से 1350 किमी साइकिल चला कर पहुंचा घर

साइकिल से ही गुड़गांव से घर जाने के लिए कमर कस लिया और एक हाथ से ही 1350 किलोमीटर साइकिल चला कर आठ दिनों में घर पहुंच गया.

आमस : ठीक ही कहा गया है कि अगर इंसान किसी काम को करने के लिए ठान लेता है, तो सफलता अवश्य मिलती है. ऐसा ही कर दिखाया है महुआवां पंचायत के प्राणपुर गांव निवासी कामेश्वर यादव ने. कामेश्वर बचपन में ही पोलियो का शिकार है. बायां हाथ सूख जाने के कारण काम नहीं करता है. लेकिन, जब भुखमरी की नौबत आ गयी तो साइकिल से ही गुड़गांव से घर जाने के लिए कमर कस लिया और एक हाथ से ही 1350 किलोमीटर साइकिल चला कर आठ दिनों में घर पहुंच गया.

कामेश्वर बताते हैं कि लॉकडाउन के दो माह पूर्व ही काम करने गए थे. स्पोर्ट्स कंपनी में हेल्पर का काम करते थे.अचानक लॉकडाउन होने से स्थिति धीरे धीरे बिगड़ने लगी. एक ओर राशन समाप्त हो चुका था. दूसरी ओर मकान मालिक किराया के लिए दबाव बना रहा था. प्रशासन और स्थानीय लोगों से गुहार लगाने पर भी कोई सहायता नहीं मिली. अंत में ऊब कर जान को हथेली पर लिए घर के लिए निकल पड़ा.

चना खा कर व सत्तू पीकर रास्ता तय किया.रास्ते में पुलिस के द्वारा तंग किया गया मगर फिर भी हिम्मत नहीं हारे और छिप कर मंजिल की ओर बढ़ते रहे.अफसोस की बात ये है कि कामेश्वर की पत्नी रिंकू देवी भी पोलियो से पीड़ित है. इससे एक पैर काम नहीं करता है. कामेश्वर बताते हैं कि तीन छोटे छोटे बच्चे हैं. प्रदेश में कमा कर ही बच्चों को पालते और घर का चूल्हा जलाते थे.मगर अब स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी है. समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें ?

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