Gaya News : मानव जीवन की प्रगति में शोध का बड़ा महत्व है
Gaya News : एमयू स्थित हिंदी, मगही और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साहित्य में शोध के नवीन आयाम विषय पर विशिष्ट व्याख्यान में डॉ केदार सिंह ने संबोधन दिया.
बोधगया. साहित्य के क्षेत्र में अनुसंधान के आयाम निरंतर बदल रहे हैं, नये रूप धारण कर रहे हैं. क्योंकि अत्याधुनिक तकनीक और कृत्रिम मेधा जैसी चीजें मनुष्य पर और अंततः साहित्य पर अपना व्यापक प्रभाव डाल रही हैं. उक्त बातें एमयू स्थित हिंदी, मगही और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित साहित्य में शोध के नवीन आयाम विषय पर विशिष्ट व्याख्यान में डॉ केदार सिंह ने कही. वह विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के हिंदी विभाग से आमंत्रित वक्ता के रूप में आये हुए थे. उन्होंने अपने व्याख्यान में मानव जीवन की उत्तरोत्तर प्रगति में शोध के महत्त्व व अकादमिक जगत में शोध की प्रक्रिया पर आद्योपांत विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने यह भी बताया कि साहित्य में शोध विज्ञान अलग होता है. साहित्य में शिल्प भी मायने रखता है और इसलिए उसमें शोध करना अन्य अनुशासनों से कलात्मक आधार पर अलग हो जाता है. वरिष्ठ आचार्य प्रो सुनील कुमार ने स्वागत एवं परिचय वक्तव्य दिया. उन्होंने शोध के क्षेत्र में आदर्श और व्यवहार के बीच बढ़ते फासले पर अपनी चिंता जाहिर की. डॉ आनंद कुमार सिंह ने विद्यार्थियों से गंभीर अनुसंधान में संलग्न होने की अपील करते हुए सभी के प्रति आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया. हिंदी, मगही एवं पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो ब्रजेश कुमार राय के मार्गदर्शन में विभाग में देश और संविधान विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता की रूपरेखा तैयार की गयी. इस प्रतियोगिता में तीन प्रमुख विजेताओं को स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक से सम्मानित किया जायेगा. व्याख्यान में मंच संचालन डॉ परम प्रकाश राय ने किया. सहायक आचार्यगण डॉ राकेश कुमार रंजन, डॉ अनुज कुमार तरुण और डॉ अम्बे कुमारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे. डॉ सोनू अन्नपूर्णा, डॉ किरण कुमारी, डॉ अजित सिंह व हिंदी, मगही और पत्रकारिता विभाग के शोधार्थियों और विद्यार्थियों उपस्थिति से सभागार भरा रहा.
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