गया. जिले में नौ से 14 वर्ष की बच्चियों की गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस टीकाकरण की शुरुआत की जा चुकी है. स्वास्थ्य विभाग को टीकाकरण के छह सौ डोज उपलब्ध कराये गये हैं. होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च केंद्र की जिला तकनीकी अधिकारी डॉ दीपशिखा ने बताया कि मंगलवार को इस केंद्र पर नौ से 14 वर्ष आयुवर्ग की स्कूली छात्राओं काे पहला डोज दिया गया. अब दूसरा डोज छह माह बाद दिया जाना है. उन्होंने बताया कि 14 वर्ष से अधिक उम्र की बच्चियों या महिलाओं को एचपीवी टीकाकरण के तीन डोज दिये जाते हैं. इन्हें पहले डोज के बाद दूसरा डोज दो माह पूरा होने पर तथा तीसरा डोज पहले डोज से छह माह पूरा हो जाने बाद दिया जाता है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच में 51 महिलाएं संदिग्ध मिली थीं. वहीं दो महिलाओं में इसकी पुष्टि हुई थी. जयप्रकाश नारायण सदर अस्पताल में टीकाकरण के लिए सेंटर बनाया गया है. डॉ दीपशिखा ने बताया कि गर्भाशय ग्रीवा, गुदा, योनि, लिंग, मुंह और गले के कैंसर से जुड़े कम से कम 13 प्रकार के एचपीवी हैं. एचपीवी से संबंधित कैंसर के अधिकतर मामले एचपीवी के केवल दो उच्च जोखिम वाले प्रकारों के कारण होते हैं. इसमें टाइप 16 और टाइप 18 शामिल हैं.
एएनएमएमसीएच में 28 बच्चियों को दी गयी वैक्सीन
एएनएमएमसीएच में बुधवार को एचपीवी टीकाकरण की शुरुआत की गयी. मंगलवार को सदर हॉस्पिटल में इसकी शुरुआत की गयी थी. पहले दिन 28 बच्चियों को टीका दिया गया है. इस मौके पर उपाधीक्षक डाॅ एनके पासवान ने कहा कि जननांग मस्से और गर्भाशय ग्रीवा, लिंग और गले के कैंसर का कारण बनते हैं. टीकाकरण के लिए सबसे अच्छा समय यौन रूप से सक्रिय होने से पहले का है. इस मौके पर शिशु रोग विभाग के हेड डॉ रवींद्र कुमार ने कहा कि एचपीवी वैक्सीन एचपीवी से संबंधित बीमारियों से खुद को बचाने का एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है. यह वैक्सीन एचपीवी से संबंधित जननांग मस्से और कैंसर के जोखिम को 99 प्रतिशत तक कम कर सकती है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में लाखों लोगों ने बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के एचपीवी वैक्सीन लगवा चुके हैं. वैक्सीन में जीवित वायरस नहीं होते, इसलिए इससे एचपीवी संक्रमण नहीं हो सकता है. इस मौके पर डीआइओ डाॅ राजीव अंबष्ठा, वैक्सीनेटर सुजाता प्रिया, विजय बिंद आदि मौजूद थे.
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