मानव जीवन के तरीकों को आकार देने में भूमिका निभाता है भूगोल : कुलपति
सीयूएसबी के भूगोल विभाग द्वारा जियोग्राफी इन एवरीडे लाइफ (दैनिक जीवन में भूगोल) विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के मार्गदर्शन में भूगोल के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर किरण कुमार द्वारा किया गया.
गया. सीयूएसबी के भूगोल विभाग द्वारा जियोग्राफी इन एवरीडे लाइफ (दैनिक जीवन में भूगोल) विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के मार्गदर्शन में भूगोल के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर किरण कुमार द्वारा किया गया. संगोष्ठी के मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि के रूप में सीयूएसबी के कुलपति और भूगोलवेत्ता प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने अपने संबोधन में भूगोल को संस्कृति से जोड़कर अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि भूगोल सिर्फ कक्षाओं में पढ़ाया जाने वाला विषय नहीं है, बल्कि यह मानव संस्कृतियों, परंपराओं और जीवन के तरीकों को आकार देने में भी भूमिका निभाता है. भूगोल की मदद से विभिन्न क्षेत्रों की अनूठी विशेषताओं का अध्ययन करके हम दुनिया की विविधता और लोगों द्वारा अपने भौतिक वातावरण के अनुकूल ढलने के तरीकों की गहरी सराहना विकसित कर सकते हैं. भूगोल हमारे रोजमर्रा के जीवन का एक मूलभूत हिस्सा है जो हमारे आसपास की दुनिया को नेविगेट करने, समझने और उसके साथ बातचीत करने के तरीके को आकार देता है. प्रो सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (नेशनल जियोस्पेशियल पॉलिसी) 2022 ने अपने परिवेश को अधिक प्रभावी ढंग से नेविगेट करने में मदद की है. मानचित्रों को पढ़ने, स्थानिक संबंधों की व्याख्या करने और अक्षांश, देशांतर व मुख्य दिशाओं जैसी अवधारणाओं को समझने में सक्षम होने से हमें अपना रास्ता ढूंढने में मदद मिलती है. चाहे हम किसी नयी जगह पर गाड़ी चला रहे हों या एक नये शहर की खोज कर रहे हों. इस नीति के तहत स्थानिक डेटा की पहुंच और उपयोग को बढ़ाया गया है. वहीं, सिविल सेवाओं में भी तेजी से सुधार हुआ है. इस नीति के तहत संवेदनशील रक्षा या सुरक्षा-संबंधित डेटा को छोड़कर भू-स्थानिक डेटा तक खुली पहुंच सुनिश्चित की गयी है. प्रोफेसर सिंह ने छात्रों और शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी 2020) के तहत भूगोल विषय की नयी पाठ्यक्रम सामग्री बनाने पर सुझाव भी मांगे. इससे पहले औपचारिक उद्घाटन के बाद प्रो किरण कुमारी ने कहा कि भूगोल के बगैर जीवन जीने की कल्पना नहीं की जा सकती. संगोष्ठी का संचालन डॉ मंजीत सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीता सिंह ने किया. इस कार्यक्रम में प्रो पार्थ सारथी, डॉ जोगिंदर सिंह चौहान, डॉ सोमनाथ बेरा के साथ विभाग के शोधार्थी व विभाग के स्नातकोत्तर छात्र उपस्थित थे.
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