Bhagalpur News: साइबर थानाध्यक्ष पर गिरी गाज, अपराधियों को देरी से पेश करने पर कोर्ट ने किया शोकॉज
Bhagalpur News: भागलपुर में फिशिंग गिरोह के मामले में कोर्ट ने साइबर थाना प्रभारी को आरोपियों को गिरफ्तारी के 24 घंटे बाद कोर्ट में पेश करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. दरअसल, यह कार्रवाई 22 अक्टूबर 2024 को की गई थी और आरोपियों को गिरफ्तारी के 48 घंटे बाद कोर्ट में पेश किया गया था.
Bhagalpur News: साइबर थाना के द्वारा 22 अक्टूबर को घूरन पीर बाबा चौक के समीप साइबर ठगी करने वाले फिशिंग गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी मामले में कोर्ट ने थानाध्यक्ष को शोकॉज किया है. मामले में साइबर थाना के एएसएचओ इंस्पेक्टर अकील अहमद के लिखित आवेदन पर केस दर्ज किया गया था. जिसमें कांड के 10 अभियुक्तों को 22 अक्टूबर को ही गिरफ्तार किये जाने का उल्लेख किया था. गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार अभियुक्तों को कोर्ट के समक्ष उपस्थित कराया जाना था पर साइबर थाना की पुलिस ने गिरफ्तार आरोपितों को 48 घंटे के बाद कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया. जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है और इसे कानून का उल्लंघन भी माना है.
कोर्ट ने मांगा स्पष्टिकरण
मामले में कोर्ट ने साइबर थाना के थानाध्यक्ष सहित इसके लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों से गिरफ्तारी के 24 घंटे से ज्यादा अवधि के बाद आरोपितों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने को लेकर स्पष्टिकरण का जवाब मांगा है. स्पष्टिकरण का जवाब संतोषजनक नहीं पाये जाने पर संबंधित पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई भी की जा सकती है.
पुलिस ने दर्जनों लोगों को लिया था हिरासत में
22 अक्टूबर को भागलपुर पुलिस जिला की साइबर थाना की पुलिस ने प्रतिबिंब पोर्टल पर मिली जानकारी के अनुसार भागलपुर से साइबर ठगों द्वारा दूसरे राज्यों के लोगों से लाखाें की ठगी की जाने की सूचना पर अलर्ट हुई थी. इसके बाद पुलिस की विशेष टीम ने तकनीकी और मानवीय सूत्रों के आधार पर घूरन पीर बाबा चौक के समीप राजन कुमार के मकान में किराये पर चल रहे फिशिंग कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर दर्जनों लड़कियों और साइबर गिरोह के संचालकों को हिरासत में लिया था.
इसे भी पढ़ें: Pappu Yadav: पप्पू यादव को मिली धमकी के बाद पूर्णिया पुलिस प्रशासन अलर्ट, जानें फोन आते ही क्यों मच गयी खलबली
10 लोगों को किया गया था गिरफ्तार
मामले की जांच में यह भी पता चला था कि जिस कार्यालय को जीशान अली नामक व्यक्ति ने अपना फर्जी नाम-पता और आधार कार्ड पर विज्ञापन एजेंसी चलाने के नाम पर किराये पर लिया था. उस कार्यालय में वह लड़कियों को कॉल सेंटर में जॉब देने के बहाने उनसे साइबर ठगी कराता था. मामले में कुल 10 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गयी थी. जिन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.