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वोकेशनल कोर्सेज में प्लेसमेंट की स्थित चिंताजनक

स्कील इंडिया को बढ़ावा देने को लेकर विभिन्न संस्थानों में वोकेशनल कोर्सेज की शिक्षा दी जा रही है. इससे देश को फायदा व युवाओं को रोजगार का अवसर भी मिल रहा. बिहार में भी सरकारी संस्थानों के समानांतर निजी संस्थानों में विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज की पढ़ाई करायी जा रही है.

कलेंद्र प्रताप, बोधगया. स्कील इंडिया को बढ़ावा देने को लेकर विभिन्न संस्थानों में वोकेशनल कोर्सेज की शिक्षा दी जा रही है. इससे देश को फायदा व युवाओं को रोजगार का अवसर भी मिल रहा. बिहार में भी सरकारी संस्थानों के समानांतर निजी संस्थानों में विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज की पढ़ाई करायी जा रही है. हालांकि, इनके शुल्क में भिन्नता है. सूबे के विभिन्न विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में इन दिनों वोकेशनल कोर्सेज की कक्षाएं संचालित हो रही हैं. यह दीगर बात है कि युवाओं को स्किल्ड बनाने में सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में कौन ज्यादा खुद को सक्षम साबित कर रहा है व कैंपस प्लेसमेंट की दिशा में उनकी क्या स्थित है. पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया कि कम शुल्क के साथ सरकारी संस्थानों में विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज की पढ़ाई तो करायी जा रही है. उनमें सीटों के अनुरूप नामांकन भी लिये जा रहे हैं. हर वर्ष हजारों युवाओं को प्रमाणपत्र उपलब्ध कराये जा रहे हैं. लेकिन, संस्थानों में कैंपस प्लेसमेंट की स्थित बिल्कुल निराशाजनक है. कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें एक प्रमाणपत्र थमा दिया जाता है व अब उन्हें रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है. सरकारी संस्थानों में संचालित विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज में योग्य व उचित पारिश्रमिक के साथ फैकल्टी की गैरमौजूदगी के कारण छात्रों की अभिरुचि कक्षाओं में कम होने लगती है. यह तथ्य सामने आ रहा है कि विभिन्न स्ववित्तपोषित कोर्सेज में छात्रों से कम शुल्क लिये जाने के कारण कम पारिश्रमिक वाले फैकल्टी रखे जा रहे हैं व वे अपेक्षा व जरूरत के मुताबिक विद्यार्थियों को स्किल्ड नहीं कर पा रहे हैं. इसका परिणाम यह सामने आ रहा है कि देश की बड़ी कंपनियों के साथ-साथ छोटी कंपनियों का भी रुख ऐसे संस्थानों की तरफ नहीं हो पा रहा है व यहां से पासआउट छात्रों के प्रति कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं. कुछ प्राध्यापकों के साथ ही वोकेशनल कोर्स करने के बाद बेरोजगार बैठे कई युवाओं का कहना है कि मगध विवि मुख्यालय व इसके अंतर्गत कॉलेजों में संचालित विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज केवल डिग्री बांटने तक ही सीमित रह गये हैं. दूसरी वजह यह भी सामने आ रही है कि संस्थानों द्वारा संबंधित कोर्सेज की पढ़ाई करने वाले सेक्टर यानी कंपनियों के साथ अपनी तालमेल बैठाने में अक्षम हो रहे हैं व उन्हें अपने -अपने संस्थानों में कैंपस प्लेसमेंट के लिए आकर्षित कराने में नाकाम साबित हो रहे हैं. मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही ने कहा कि कैंपस प्लेसमेंट को लेकर विवि प्रशासन पूरी तरह गंभीर है. पिछले दिनों इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. कंपनियों के माध्यम से कैंपस प्लेसमेंट हुआ है. फिर भी जल्द ही संबंधित प्राचार्यों व डायरेक्टरों के साथ बैठक कर इस दिशा में सार्थक पहल करने का निर्देश दिया जायेगा. प्लेसमेंट सेल की समीक्षा कर उन्हें क्रियाशील बनाया जायेगा. हालांकि, वोकेशनल कोर्सेज की बेहतर गुणवत्ता के लिए सरकार के स्तर पर फैकल्टी की बहाली भी इसमें महत्वपूर्ण है ताकि हम संस्थानों के माध्यम से स्किल्ड छात्रों को तैयार कर सकें.

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