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गया में जीपीएस लगे वाहनों की भी नहीं हो रही निगरानी, क्यूआर लगाने के बाद भी नहीं उठ रहा कूड़ा

गया में कचरा निस्तारण में सुधार के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया गया है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण कचरा का उठाव ठीक से नहीं हो पाता है और ना ही तरीके से मॉनिटरिंग की जा रही है.

गया शहर में कचरा उठाव व निस्तारण को बेहतर करने के लिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग सिस्टम को डेवलप किया गया है, पर इसका संचालन ढंग से नहीं किया जा रहा है. सिस्टम बनाया गया था कि 300 गाड़ियों में जीपीएस से निगरानी की जायेगी. गाड़ी के चलने के अनुरूप ही तेल दिया जायेगा, इतना ही नहीं कचरा उठाव की व्यवस्था को ठीक करने के लिए शहर के करीब 75 हजार घरों में क्यूआर लगाये गये. हालात यह हैं कि शहर के कई मुहल्लों के घरों से हर दिन कचरे का उठाव नहीं होता है. इसका मुख्य कारण लेबर व संसाधन की कमी बतायी जाती है.

हर दिन कचरा उठाव ही नहीं होता है, तो मॉनीटरिंग का क्या फायदा होगा. सच्चाई यह है कि गाड़ियों की जांच करने के लिए लगाया गया सिस्टम रोड के हिसाब से नहीं तैयार किया गया है. कई जगहों पर रोड के बदले मकान के ऊपर से ही डाइग्राम को पार कर लिया गया है. इससे गाड़ियों के किलोमीटर में अंतर आ जाता है. हर माह सिर्फ मॉनीटरिंग पर लाखों रुपये एक एजेंसी को दिये जा रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि इस सिस्टम को ढंग से लागू किया जाता, तो काम रोड पर दिखने लगता और बेहतर सुविधा लोग मिल पाती.

पहले भी बैठक में उठ चुका है मामला

निगम के बोर्ड की बैठकों में ऑनलाइन मॉनीटरिंग को ठीक नहीं बताते हुए कई पार्षदों ने मामले को उठाया था. इसके बाद निगम की ओर से जवाब दिया गया था कि इससे काम पर नजर रखते हुए यहां के डीजल खर्च में लाखों की बचत होगी. इसके बाद भी इस काम को पार्षदों ने फिजुलखर्ची ही बताया था.

सूत्रों का कहना है कि ऐसा कुछ भी यहां देखने को नहीं मिल रहा है. निगम की बैठकों में 20 वर्ष पहले की स्थिति को दिखाया जाता है. कहा जाता है कि उस वक्त निगम में कोई सुविधा नहीं थी. एक पार्षद का कहना है कि उस वक्त निगम के इतना पैसा ही नहीं था. इसलिए सुविधा नहीं थी. अब हर वर्ष विकास के काम के लिए सरकार से करोड़ों रुपये दिये जाते हैं. इसलिए अब काम दिख रहा है.

कई बार पहले भी लग चुका गाड़ियों में जीपीएस

कुछ वर्ष पहले उस वक्त के नगर आयुक्त नीलेश देवरे ने गाड़ियों में लाखों रुपये खर्च कर जीपीएस लगवाया था. लेकिन, कुछ दिन बात ही यह सिस्टम गाड़ियों में फेल हो गया था. उसके बाद बीएसएनएल की ओर से करीब 27 लाख रुपये देकर गाड़ियों में जीपीएस लगवाया गया. वह सिस्टम एक दिन के लिए भी चालू नहीं हो सका.

क्या कहते हैं अधिकारी

नगर निगम सफाई के नोडल अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि ऑनलाइन मॉनीटरिंग शुरू होने के बाद स्थिति में काफी सुधार आया है. निगम की 300 गाड़ियों में जीपीएस व अलावा लगभग 75 हजार घरों में क्यूआर कोड लगया गया है. इसके तहत ही मॉनीटरिंग की जा रही है. उन्होंने कहा कि व्यवस्था को और बेहतर बनाने पर काम किया जा रहा है.

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