जिले के सरकारी अस्पतालों में अब तक मलेरिया के नौ मरीज आये सामने
गया. बारिश के मौसम शुरू होते ही तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ने लगी है. इस मौसम में डायरिया, टाइफाइड, वायरल फीवर, डेंगू व मलेरिया का खतरा सबसे ज्यादा और तेजी से फैलता है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डाॅ एमइ हक ने बताया कि टाइफाइड और डायरिया खराब खाने-पीने से होता है. इसमें उल्टी-दस्त की समस्या भी रहती है. कुछ बैक्टीरिया वायरल फीवर का कारण भी बन जाते हैं. खान-पान व रहने की बेहतर व्यवस्था के बदौलत बीमारियों से बचा जा सकता है. इस मौसम में हर उम्र के लोगों को थोड़ी सी असावधानी होने पर बीमारी अपने चपेट में ले लेती है. सावधान रहने की जरूरत
उन्होंने कहा कि इस मौसम में चिकेनगुनिया, डेंगू, मलेरिया के साथ बच्चों में जेइ-एइएस का खतरा अधिक बढ़ जाता है. लोगों को हर स्तर से सावधान रहने की जरूरत है. अब तक इस मौसम में जिले के सरकारी अस्पतालों में नौ मलेरिया पीड़ित मरीज सामने आ चुके हैं. इससे कहीं अधिक इस बीमारी के मरीजों की संख्या प्राइवेट अस्पतालों में भी होगी.
कहीं भी पानी जमा नहीं होने दें
डॉ हक ने बताया कि मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से बचाव के लिए कहीं भी पानी जमा नहीं होने दें. इस मौसम में जितना हो सके पानी उबाल कर ही पीना जरूरी है. मच्छरों से बचाव के लिए पूरी बाजू वाले कपड़े पहनें. उन्होंने कहा कि सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. बेडशीट को समय-समय पर धोते रहें और कपड़ों को भी धूप दिखाते रहें. दरवाजे व खिड़कियों पर नेट की व्यवस्था रहने से मच्छर व मक्खी और दूसरी बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का प्रवेश नहीं होगा. मलेरिया, टाइफाइड और हेपेटाइटिस से बचे रहने के लिए टीक जरूर लगाएं. डॉ हक ने बताया कि किसी तरह के शरीर में दिक्कत होने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है