प्रशिक्षण से शोधकर्ताओं का बढ़ेगा मनोबल

प्रशिक्षण से शोधकर्ताओं का बढ़ेगा मनोबल

By Prabhat Khabar News Desk | August 19, 2024 7:55 PM

साहित्यिक चोरी के बगैर गुणवत्ता वाले प्रकाशन लिखने के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित गया. सीयूएसबी के आर्थिक अध्ययन व नीति विभाग ने शोधार्थियों के लिए ‘शोध एवं प्रकाशन नैतिकता’ विषय पर एक विशेष ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो कृष्णन चालिल की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम में विभाग के शोधार्थियों ने हिस्सा लिया. ओरिएंटेशन कार्यक्रम यूजीसी की ओर से अनिवार्य शोध एवं प्रकाशन नैतिकता पाठ्यक्रम की तर्ज पर तैयार किया गया था. अभिमुखीकरण कार्यक्रम के विषयों में शैक्षणिक अखंडता व शोध गुणवत्ता, सामाजिक विज्ञान में शोध का दर्शन व नैतिकता, शोध प्रकाशनों में नैतिकता-विज्ञान में निर्माण, मिथ्याकरण व साहित्यिक चोरी, सामाजिक विज्ञान व मानविकी में शोध नैतिकता, अच्छे प्रकाशन अभ्यासों पर दिशा-निर्देश तथा यूजीसी केयर सूची एवं डाटा बेस एवं शोध मीट्रिक्स शामिल थे. मास्टर रिसोर्स पर्सन सहायक पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ मयंक युवराज ने प्रतिभागियों को शोध कार्य के प्रकाशन के दौरान ध्यान में रखने योग्य नैतिकता के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक किया. डॉ मयंक ने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण से शोधकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा. उचित रूप से मिले प्रशिक्षण इससे पहले उद्घाटन भाषण में विभागाध्यक्ष प्रो कृष्णन चालिल ने नवोदित विद्वानों को शोध व प्रकाशन के क्षेत्र में अनैतिक प्रथाओं से बचने के लिए अकादमिक अखंडता के मार्ग पर प्रशिक्षित करने की सख्त आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि इस ओरिएंटेशन कार्यक्रम का मूल उद्देश्य युवा विद्वानों का एक समूह तैयार करना है, जिन्हें साहित्यिक चोरी के बगैर गुणवत्ता वाले प्रकाशन लिखने के लिए उचित रूप से प्रशिक्षित किया जाये. डॉ रिखिल ने की सहायता इस कार्यक्रम का उद्देश्य शोधार्थियों को उनके शोध व प्रकाशन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अच्छे और नैतिक शोध व प्रकाशन अभ्यास से औपचारिक रूप से अवगत कराना था. अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर डॉ रिखिल चिरमांग ने भी सत्रों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान की. समापन सत्र में अर्थशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ अतीश कुमार दास ने शोध करने वाले सभी विभागों में इस तरह के प्रयासों की आवश्यकता पर बल देते हुए विशेषज्ञों और प्रतिभागियों को साधुवाद दिया.

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