गया. दरगाह बीथो शरीफ में पांच दिवसीय वार्षिक उर्स महोत्सव शुक्रवार को चादरपोशी व विशेष दुआओं की मजलिस के साथ संपन्न हुआ. 19 फ़रवरी से आयोजित इस उर्स मेले के आखिरी दिन शुक्रवार को ज़ोहर की नमाज़ के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इसके बाद महफ़िले समा की क़व्वाली, मग़रिब की नमाज़, हज़रत मख़दूम सैयद शाह दुर्वेश अशरफ़ रह व हज़रत मखदूम सैयद शाह मोहम्मद अशरफ उर्फ़ शाह चांद अशरफ रह के उर्स का अंतिम क़ुल शरीफ़ आयोजित हुआ.
मख़दूम बाबा का था यह 543 वां उर्स
दरगाह बीथोशरीफ के खानक़ाह दुर्वेशिया अशरफ़िया चिश्तिया के सज्जादानशीन व मोतवल्ली हज़रत सैयद शाह अरबाब अशरफ़ ने बताया कि इस साल का मख़दूम बाबा का यह 543 वां उर्स है. मालूम हो कि यह पांच दिवसीय उर्स महोत्सव 19 फ़रवरी को देर रात ग़ुस्ल शरीफ़ व संदल पोशी मज़ार शरीफ़ हज़रत मख़दूम सैयद शाह दुर्वेश अशरफ़ रह, जो की सज्जादानशीन हज़रत सैयद शाह अरबाब अशरफ़ साहब के हाथों शुरू हुआ था. 20 फ़रवरी को दरगाह बीथो शरीफ से श्रद्धालुओं, ज़ाएरीन, देसनी व हाजतियो़ं द्वारा जुलूस काफिला निकालकर दरगाह हजरत मुबारक अशरफ रह गन्नू बिगहा व इमली दरगाह पर जियारत, हाज़री, क़ुल व चादरपोशी की गयी थी.
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करीब एक लाख लोग हुए शामिल
21 फ़रवरी को मग़रिब की नमाज़, ईशा की अजान तक महफ़िले समां की क़व्वाली, जमात, हज़रत मखदूम सैयद शाह दुर्वेश अशरफ रह का क़ुल शरीफ़, ख़िरक़ापोशी व चादरपोशी का आयोजन हुआ था. 22 फ़रवरी को ज़ोहर की नमाज़ के बाद महफ़िले समा की क़व्वाली, अस्र की नमाज़, क़ुल शरीफ़, चादरपोशी, मग़रिब की नमाज़, चिराग़ा, उलेमा की तक़रीर, कव्वाली मुकाबला सहित विविध कार्यक्रम आयोजित हुए थे. कार्यक्रम में बिहार सहित देश के कई अन्य राज्यों के करीब एक लाख लोग शामिल हुए.