गया में शीत लहर का प्रकोप, ठाकुरबाड़ी में भगवान को ठंड से बचाने के लिए पहनाए गए गर्म कपड़े
मंदिर के महंत महामंडलेश्वर रामरतन दास महात्यागी ने बताया कि वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भगवान राम, लक्ष्मण, मां सीता सहित अन्य देवी-देवताओं को गर्म कपड़े ओढ़ा कर ठंड से बचाव किया जा रहा है.
निर्भय कुमार पांडेय, इमामगंज: कई वर्षों से सर्दी के दिनों में भगवान को गर्म कपड़े पहनाने की परंपरा इस साल भी निभाई जा रही है. गौरतलब है कि जिले में ठंड में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और जनजीवन प्रभावित है, इसी कड़ी में इमामगंज प्रखंड के रानीगंज बॉस बाजार के नजदीक बुलबुल तालाब स्थित ठाकुरबाड़ी में भगवान को गर्म कपड़े ओढ़ाकर ठंड से बचाव किया जा रहा है.
वर्षों से चली आ रही परंपरा
मंदिर के महंत महामंडलेश्वर रामरतन दास महात्यागी ने बताया कि वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भगवान राम, लक्ष्मण, मां सीता सहित अन्य देवी-देवताओं को गर्म कपड़े ओढ़ा कर ठंड से बचाव किया जा रहा है. वहीं क्षेत्र के जाने-माने विद्वान आचार्य राजीव नयन तिवारी ने बताया कि भक्त और भगवान के बीच अनूठा संबंध होता है, जब भक्तों पर कष्ट आता है, तो भगवान उसकी विपत्ति का हरण करने के लिए खड़े रहते हैं. उसी तरह भगवान को भी ऋतुओं के अनुसार भक्त प्रसाद और पोशाक धारण करवाते हैं.
सर्दी से बचने के लिए भक्त भगवान को गर्म कपड़े पहनाते हैं
आचार्य राजीव तिवारी ने बताया कि भगवान की भक्ति करने के लिए भक्त तरह-तरह के उपाय अपनाते है. लेकिन, भक्त और भगवान के बीच जो भाव का संबंध होता है वह अनूठा है. भक्त और भगवान के बीच भाव का जो संबंध है वह सनातन धर्म में ही है. अत्यधिक सर्दी से बचने के लिए भक्त भगवान को गर्म कपड़े पहनाते हैं. वही गर्मी के मौसम में भगवान को चंदन का लेप लगाकर शीतलता प्रदान की जाती है. यह भक्त और भगवान के बीच अनूठा संबंध युगों से चलता आ रहा है.
Also Read: शीत घर बना बिहार : 72 घंटे से नहीं निकली है धूप, जानिए कब मिलेगी ठंड से राहत
गुरुआ में अलाव जलाने की मांग
जिले के गुरुआ प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में ठंड के प्रकोप से लोग परेशान हैं. वहीं, दो दिनों से चल रहे शीतलहरी से जनजीवन अस्त व्यस्त होने लगा है. तीन दिनों से लगातार पछुआ हवा चल रही है, जिसके कारण जन जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है. ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ गुरुआ बाजार में भी लोग ठिठुर रहे हैं. कई जगह नेवारी व पुआल आदि जलाकर शरीर को गरम करने में लगे रहे. स्थानीय लोगों ने अंचलाधिकारी व जिला प्रशासन से अलाव जलाने की मांग की है, ताकि ठंड से लोगों को राहत मिल सके.