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गया में मनसरवा नाले के रौद्र रूप ने ताजा कर दी 2016 की यादें, कई मोहल्लों में बाढ़ जैसे हालात

मनसरवा नाले के उफान पर होने से गया शहर के कई मोहल्लों के घरों में पानी घुस गया. 2016 में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी. कई दिनों तक बाढ़ जैसे हालात थे. उसी मंगर को याद कर एक बार फिर गया के लोग सहमे हुए है कि अगर दो दिन और बारिश हो गई तो वैसे ही हालात हो जाएंगे

By Anand Shekhar | August 24, 2024 7:37 PM
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Bihar Flood: मोक्ष नगरी गया के मनसरवा नाले का रौद्र रूप देख कर हर कोई सहम गया है. शुक्रवार की शाम से ही लोगों को डर लगने लगा था कि इस बार फिर बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति न आ जाये. शुक्रवार को दिन रात पानी पड़ने के बाद अशोक विहार, पंतनगर, मधुसूदन कॉलोनी, मयूर विहार आदि जगहों पर लोग के आंख के सामने 2016 का दृश्य नाचने लगा. बारिश के चलते मुहल्लों में हर घर के आसपास व रोड पर पानी बढ़ने लगा. इसके बाद इन मुहल्लों के लोग आनन-फानन में मेयर, पार्षद, जिला के पदाधिकारियों को फोन पर सारी स्थिति की सूचना देते रहे.

रात 12 बजे ही उपाय खोजने पहुंच गए अधिकारी

शुक्रवार की रात करीब 12 बजे डीएम डॉ त्यागराजन एसएम, नगर आयुक्त अभिलाषा शर्मा, सफाई के नोडल अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा आदि मनसरवा नाले को देखने व पानी कम करने का उपाय खोजने पहुंच गये. अधिकारियों ने कहा कि सुबह से लगातार हो रहे बारिश के कारण जलजमाव हुआ है. निरीक्षण करते हुए स्विस गेट खोला गया व डायवर्सन को हटाया गया. इसके बाद पानी तेजी से निकलने लगा है. आठ घंटे के अंदर स्थिति सामान्य होने की उम्मीद.

डरते हुए बिताई शुक्रवार की रात

अशोक विहार के रहनेवाले विकास कुमार ने बताया कि पूरे मुहल्ले में पानी आने के चलते रात भर लोग डरते हुए रहे. एक-दो दिन अगर लगातार बारिश हुई, तो 2016 जैसी स्थिति आ जायेगी. उस समय एक सप्ताह तक घर छोड़ कर लोगों को अन्यत्र जगह रहना पड़ा था. उस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां पहुंच कर जायजा लिया था. पंत नगर के अशोक प्रसाद ने बताया कि सुबह से ही निगम अलर्ट रहता, तो नदी में पानी जाने के लिए रास्ता साफ हो जाता.

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सड़क पर जमा पानी

2016 में हो गयी थी भयावह स्थिति

2016 में मनसरवा नाला जाम के चलते जलजमाव की भयावह स्थिति कायम हो गयी थी. करीब एक सप्ताह तक यहां पानी तीन-चार फुट से अधिक जमा रहा था. एसडीआरफ की टीम के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक यहां जायजा लेने पहुंचे थे. यहां के लोगों को अस्थायी शिविर में रखा गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि नाले की जमीन पर बने अवैध मकान को हटाया जाये. अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हुआ. मामला शांत होने के बाद आदेश को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. निगम से कई बार नोटिस अवैध निर्माण पर दिया जा चुका है. लेकिन, सार्थक कार्रवाई नहीं हो सकी है.

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