गुरुआ. गुरुआ प्रखंड क्षेत्र का लालगढ गांव तरबूज की खेती के लिए मशहूर है. दूर-दूर से व्यापारी लालगढ़ गांव आते हैं और ट्रक ट्रैक्टर से तरबूज बाहर ले जाते हैं. लालगढ़ गांव के ग्रामीण बताते हैं कि यहां का मुख्य फसल तरबूज और आलू है. इधर, लालगढ़ गांव के युवक राजीव रंजन ने बताया कि वह इंटर की परीक्षा पास करने के बाद जीएनएम कर रहे हैं. समय मिलने पर घर आते हैं और अपने पिता उपेंद्र प्रसाद के साथ खेतों में हाथ बंटाते हैं. राजीव रंजन ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए बताया कि लालगढ़ गांव के चारों तरफ नदी है और बीच पर टापू पर गांव बसा है. इस गांव में लगभग 80 एकड़ जमीन पर भारी मात्रा में तरबूज की खेती होती है. गांव का हर किसान कुछ न कुछ तरबूज की खेती जरूर करता है. इससे उनके परिवार के भरण-पोषण के साथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी अच्छे तरीके से हो जाती है. हालांकि, इस वर्ष तेज आंधी के साथ ओलावृष्टि से फसल बुरी तरह से नष्ट हो गयी है. किसानों काे पूंजी लौटना भी मुश्किल हो गया है. फिर भी किसानों ने हिम्मत नहीं हारी और करेला व लौकी आदि सब्जियां लगाकर लागत पूंजी की भरपाई करने में जुट गये. राजीव ने बताया कि यहां किसान उपेंद्र प्रसाद, नीतीश कुमार, संदीप कुमार, नागेंद्र प्रसाद, कृष्णा प्रसाद, नीरज साव, संजय साव, अर्जुन प्रसाद, फुलकेश्वर राम, राजेंद्र राम, दीपक कुमार, प्रमोद कुमार, धीरज कुमार आदि प्रति वर्ष एक से तीन एकड़ में तरबूज व सब्जी की खेती करते हैं. तरबूज की बेहतर खेती के लिए जुताई, कुड़ाई, पटवन व बीज के अलावा कीटनाशक के लिए अच्छी-खासी पूंजी लगती है. पूंजी के हिसाब से मुनाफा लगभग चार गुना होता है. ग्रामीण विपिन कुमार, नीतीश कुमार ने बताया कि यहां तरबूज के समय दूर-दूर से रिश्तेदार लालगढ़ गांव आते हैं और संदेश में भी तरबूज ले जाते हैं.
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