कोरोना को लेकर बिहार स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में नयी एडवाइजरी जारी की है. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने एम्स और आइजीआइएमएस के निदेशक सहित सभी सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के अधीक्षकों और सिविल सर्जनों को कोविड 19 को लेकर नयी एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि कोरोना के संक्रमित जिन मरीजों का सिटी वैल्यू 25 से अधिक हो, उन्हीं मरीजों के नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग करायी जाये. ऐसे नमूनों को आइजीआइएमएस, पटना के लैब को भेजा जाये.
एडवाइजरी में कहा गया है कि सजगता के लिए ओपीडी में आने वाले संदिग्ध रोगियों की सैंपल को लेकर कोविड की जांच करायी जाये. साथ ही ओपीडी में आने वाले एसएआर व आइएलआइ के रोगियों की अलग से पहचान कर उनकी जांच और इलाज सुनिश्चित की जाये. हवाई अड्डा एवं भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में रैंडम जांच कराते रहने की आवश्यकता है. इसके अलावा पूर्व में जारी सभी दिशा- निर्देशों जिसमें स्क्रिनिंग, रैंडम सैपलिंग, इलाज और डिस्चार्ज कराने की व्यवस्था रखी जायेगी. इसके साथ ही सबी अस्पतालों को मेडिकल ऑक्सीजन, पीएसए प्लांट, आरटीपीसीआर और रैट किट, एन-95 मास्क और दवाओं की उपलब्धता रहनी चाहिए.
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने मेडिकल काॅलेजों में हुए माॅक ड्रिल की सराहना की है, लेकिन उसे नाकाफी बताया है. कोविड के दौरान पार्टी की ओर से स्वास्थ्य व्यवस्था की गहन जांच-पड़ताल की गयी थी और यह पाया था कि जिला स्तरीय और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को जब तक ठीक नहीं किया जाता है, महामारियों से निबटना असंभव है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस दिशा में सरकारी प्रयास काफी कमजोर है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी पटना में भी दो ऐसे स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां कोई भी डाॅक्टर नहीं है. नीचे के अस्पतालों में तो डाॅक्टर, नर्स, दवाई, आइसीयू आदि सुविधाओं का घोर अभाव है. हमारी मांग है कि राज्य सरकार समय रहते जिला, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति सुधारने पर ध्यान दे. डाॅक्टर सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की पर्याप्त संख्या में बहाली करे तथा इन अस्पतालों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करे. तभी हम कोविड के इस बार के संभावित खतरे से सफलतापूर्वक निबट सकते हैं.