गिरिराज सिंह ने बिहार में ‘हलाल’ और ‘झटका’ का छेड़ा विवाद, श्यामा मंदिर में बलि प्रदान पर रोक का किया विरोध
बिहार के दरभंगा स्थित श्यामा मंदिर में बलि प्रदान पर रोक का अब विरोध बढ़ गया है. वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी अब इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है. गिरिराज सिंह ने इसकी वजह बताते हुए फैसले के खिलाफ आवाज उठायी है. जबकि हलाल और झटका का भी विवाद छेड़ दिया है.
Shyama Mandir Darbhanga News: दरभंगा के प्रसिद्ध श्यामा मंदिर में बलि प्रथा पर रोक लगाने का मामला गंभीर होता जा रहा है. रविवार को विभिन्न संगठनों के लोग बलि प्रदान की प्रथा पर रोक लगाने के विरुद्ध में एकजुट हो गये. बिहार राज्य धर्म न्यास बोर्ड के फरमान के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया गया है. वहीं अब इस मुद्दे ने सियासी रंग भी पकड़ना शुरू कर दिया है. भाजपा के फायर ब्रांड नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने श्यामा मंदिर में बलि प्रदान पर रोक के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. बलि प्रदान के लिए दिए बयान को लेकर गिरिराज सिंह पहले ही सुर्खियों में बने हैं. अब श्यामा मंदिर में बलि प्रदान पर रोक के फैसले पर उन्होंने कहा है सनातन धर्म में बलि प्रदान की प्रथा प्राचीन काल से चल रही है. गिरिराज सिंह ने कहा कि इसपर जिसने रोक लगायी है वो बकरीद में ऐसी रोक लगाकर दिखाएं.
गिरिराज सिंह ने क्या कहा?
गिरिराज सिंह ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत के दौरान दरभंगा के श्यामा मंदिर में बलि प्रदान पर लगी रोक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि अगर हिम्मत है तो ऐसा फैसला करने वाले जरा बकरीद पर ऐसी रोक लगाकर दिखाएं. गिरिराज सिंह ने कहा कि हिंदू समाज जातियों में बंटा हुआ है इसलिए उनके लिए ऐसे फैसले ले लिए जाते हैं. बलि प्रदान हमारा धार्मिक मामला है. ये आज का नहीं बल्कि प्राचीन काल से चलता आ रहा है. इसपर रोक लगाना गलत है. उन्होंने कहा कि मैं मुस्लिम भाईयों की तारीफ करता हूं जो अपने धर्म के प्रति जागरुक रहते हैं और हलाल ही खाते हैं. हिंदुओं से भी मैं कहना चाहता हूं कि आप हलाल कतई नहीं खाइए. झटका ही खाइये. हलाल हिंदुओं के धर्म को भ्रष्ट करने वाली एक साजिश है. हमारे धर्म में झटका ही है. ये बलि प्रथा का ही स्वरूप है. मेरा आग्रह है कि अगर झटका नहीं मिलता है तो मत खाइए. गिरिराज सिंह ने कहा कि मुस्लिम समुदाय एक है. जबकि हिंदू जातियों में बंटा हुआ है इसलिए ऐसा आदेश जारी किया जाता है.
#WATCH पटना: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, "बलि प्रथा अनादिकाल से है…श्यामा मंदिर में धार्मिक ट्रस्ट की ओर से बलि प्रथा बंद करने को कहा गया। मैं उनसे पूछता हूं कि क्या वे बकरीद बंद करा सकते हैं? अगर बकरीद उनका धर्म है तो बलि प्रथा हमारा धर्म है… मुसलमानों को मैं सम्मान… pic.twitter.com/Zju1nw0Nrh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 18, 2023
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गिरिराज सिंह के बयान पर जदयू-राजद का पलटवार
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के हलाल और झटके वाले बयान पर राजनीति गरमायी हुई है. जदयू और राजद के प्रवक्ताओं ने पलटवार किया है. जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि 33000 का राजनीतिक करंट भाजपा को लगने वाला है. I-N-D-I-A की दिल्ली में होने वाली बैठक और उसके नतीजे से ये घबराए हुए हैं. जनता I-N-D-I-A गठबंधन के माध्यम से झटका देने वाली है आप उसपर फोकस किजिए. वहीं राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि नीतीश-तेजस्वी सरकार के काम से भाजपा घबरायी हुई है. 2024 चुनाव को लेकर भयभीत है. अभी गिरिराज जी को हलाल और झटका याद आ रहा है. ये राजनीति का विषय नहीं हो सकता है.
कीर्ति आजाद ने बताया सनातन पर हमला
श्यामा मंदिर में बलि प्रदान पर रोक के निर्णय के खिलाफ पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. आजाद ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि यहां तांत्रिक पद्धति से माता की पूजा होती है. चिता भूमि होने के बावजूद यहां शादी-ब्याह जैसे संस्कार भी होते हैं. शक्तिपीठ की तर्ज पर लंबे समय से यहां बलि प्रदान करने की परंपरा है. मां श्यामा मंदिर परिसर में हजारों वर्षों से चली आ रही पूजन परंपरा से छेड़-छाड़ करना धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है. भारतीय धर्मपरायण लोगों के संवैधानिक अधिकारों से छेड़-छाड़ का अधिकार किसी को नहीं है. इस संदर्भ में 1947 से पूर्व से जो पूजन परंपरा चली आ रही है, उसमें छेड़-छाड़ 1991 अधिनियम का उल्लंघन है. बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अधिनियम, 1951 के किसी धारा या उपबंद में न्यास समिति को उस मंदिर की धार्मिक परंपरा में हस्तक्षेप विधि-निषेध जारी करने का अधिकार नहीं दिया गया है. इसमें धार्मिक न्यास द्वारा छेड़-छाड़ करना सनातन पर हमला है. इसे हम आमजन कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. आजाद ने कहा कि अखिलेश जैन को तुरंत धार्मिक न्यास से हटाया जाये.
चरणबद्ध आंदोलन की दी गयी चेतावनी
बता दें कि श्यामा मंदिर में बलि प्रथा पर रोक लगाने का मामला गंभीर होता जा रहा है. रविवार को विभिन्न संगठनों के लोग बलि प्रदान की प्रथा पर रोक लगाने के विरुद्ध में एकजुट हो गये. चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया. आस्था से जुड़े इस मुद्दे को लेकर इंद्रभवन मैदान में बैठक कर मिथिला संस्कृति संरक्षक समिति का गठन किया गया. इसमें विभिन्न दल के नेता व आमजन शामिल हुए. मौके पर वक्ताओं ने कहा कि श्यामा मंदिर आम मंदिर नहीं है. बिहार राज्य धर्म न्यास बोर्ड भूल रहा है कि जिस महाराज रमेश्वर सिंह की चिता पर यह मंदिर है, वे अपने समय में संपूर्ण भारत के धर्म महामंडल के अध्यक्ष थे. तात्कालिक भारत के सर्वाधिक सिद्ध तांत्रिकों में से एक थे. श्मशान भूमि में उनकी चिता पर यह काली मंदिर स्थापित करने की एक वजह यह थी कि यह तंत्र उपासना का मंदिर है. तंत्र उपासना पूजा पद्धति का ऐसा रूप है जो वैदिक, भक्ति, मांत्रिक, पौराणिक आदि पूजा पद्धतियों से बिल्कुल अलग है. इसका विधि-विधान सब अलग होता है. न्यास को अगर इसका ज्ञान होता तो तंत्र उपासना के लिए बने काली मंदिर में बलि प्रदान पर रोकने का निर्णय नहीं लेता.
मशाल जुलूस निकालने की तैयारी
समिति के सदस्य बैठक के बाद श्यामा मंदिर पहुंचे. बलि प्रथा चालू करो, परंपरा से खिलवाड़ करना बंद करो, मिथिला विरोधी सावधान, श्यामा न्यास समिति इस्तीफा दो के नारे लगाते हुए मुख्य द्वार पर राज्य पर्षद के अध्यक्ष एके जैन का पुतला दहन किया. मंगलवार की शाम आयकर चौराहा से श्यामा मंदिर परिसर तक मशाल जुलूस निकालने का निर्णय लिया गया. कहा गया कि अगर इस निर्णय पर तत्काल रोक नहीं लगता है, तो 25 दिसंबर को गांव-गांव से हजारों लोगों को लाकर बलि प्रदान किया जायेगा. यह आंदोलन और भी उग्र होता जायेगा.