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कृषि बिल पर किसानों से संपर्क साध रहे गिरिराज, कहा- विपक्ष के फैलाये भ्रम को दूर करना मेरा कर्तव्य

मेरा कर्तव्य है कि हर किसान का भ्रम दूर करूं, हर किसान की चिंता दूर करूं. सरकार और किसानों में दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है.

भागलपुर. भारत सरकार के मत्स्यपालन पशुपालन एवं डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को भागलपुर अतिथि गृह में पत्रकार वार्ता में कहा कि ऐतिहासिक कृषि सुधारों को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार किसानों के संपर्क में हूं.

कई राज्यों के कई किसान संगठनों ने कृषि सुधार कानून का स्वागत किया. किसानों में एक नयी उम्मीद जगी है. किसान इस नये कानून का लाभ उठाना शुरू भी कर दिया है. कुछ किसान संगठनों ने इस कानून को लेकर भ्रम पैदा कर दिया है.

मेरा कर्तव्य है कि हर किसान का भ्रम दूर करूं, हर किसान की चिंता दूर करूं. सरकार और किसानों में दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है. विपक्षियों की ओर से झूठ फैलाया जा रहा है कि एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो रही है, एपीएमसी मंडियां बंद की जा रही है.

किसानों की जमीन खतरे में है. किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाये के बदले कांट्रैक्टर्स जमीन हथिया सकते हैं. किसान कॉन्ट्रैक्ट को खत्म नहीं कर सकते हैं. नये कानून को लेकर कोई सलाह मशविरा या चर्चा नहीं की गयी है, जबकि सच्चाई यह है कि एमएसपी सिस्टम जारी है, और जारी रहेगा.

एपीएमसी मंडियां कायम रहेगी, एपीएमसी मंडियां इस कानून की परिधि से बाहर है. एग्रीमेंट फसलों का होगा जमीन की नहीं. सेल, लीज और गिरवी समेत जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा. परिस्थिति चाहे जो भी हो, किसानों की जमीन सुरक्षित है. फार्मिंग एग्रीमेंट में कृषि उपज का खरीद मूल्य दर्ज होगा.

किसानों का भुगतान तय समय सीमा के भीतर करना होगा, अन्यथा कानूनी कार्रवाई होगी और जुर्माना लगेगा. किसान किसी भी समय बिना किसी जुर्माना के कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर सकते हैं. कई राज्यों ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग की मंजूरी दे रखी है. कई राज्यों में कॉन्ट्रैक्ट फाॅर्मिंग संबंधित कानून तक है.

दो दशकों तक विचार-विमर्श होने के बाद साल 2000 में शंकरलाल ग्रुप कमेटी से इसकी शुरुआत हुई थी. 2003 में मॉडल एपीएमसी एक्ट 2007 के एपीएमसी रूल्स 2010 में हरियाणा, पंजाब, बिहार व पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की समिति व 2013 में 10 राज्यों के कृषि मंत्रियों की संस्तुति, 2017 का मॉडल एपीएमसी एक्ट और आखिरकार 2020 में संसद में इन कानूनों को मंजूरी मिली.

किसान भाइयों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मंडियां चालू है और चालू रहेगी. एपीएमसी को और अधिक मजबूत किया जा रहा है. खुला बाजार आपको अपने घर पर ही अपनी उपज को अच्छे दामों पर बेचने का विकल्प देगा. खेत से मंडी तक अनाज ले जाने का भाड़ा भी बचायेगा, फिर मंडी का विकल्प तो है ही.

कृषि मंडी पहले की तरह काम करते रहेगी. गत पांच वर्षों में कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये हैं. आने वाले समय में और आधुनिक बनाया जायेगा. जिन लोगों की राजनीति जमीन खिसक चुकी है वह लोग पूरी तरह से काल्पनिक झूठ फैला रहे हैं.

नये कानून में साफ उल्लेख है कि किसान का मालिकाना हक रहेगा. जो सरकार गांव में रहने वाले हर परिवार को स्वामित्व योजना के जरिये उसके घर का मालिकाना हक प्रदान कर रही है. वह किसानों की एक इंच जमीन भी किसी को छीनने नहीं देगी. हमारी सरकार नीयत और नीति दोनों से किसान के लिए प्रतिबद्ध है.

पत्रकार वार्ता में संतोष कुमार, रोहित पांडे, नभय चौधरी, नरेश मिश्रा, विजय कुशवाहा, रोशन सिंह, देवव्रत घोष, अभिनव कुमार, इंदु भूषण झा, राजेश टंडन, उमाशंकर, प्रमोद वर्मा, प्रीति शेखर, श्वेता सिंह, माला सिंह, कामा जी, पंकज सिंह, सुमन भारती, हेमंत शर्मा, चंदन पांडेय, संजीव कुमार, प्रिंस मंडल समेत दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे. पत्रकार वार्ता के बाद केंद्रीय मंत्री कहलगांव में किसान सम्मेलन सभा को संबोधित करने रवाना हो गये.

Posted by Ashish Jha

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