गया. राज्य सरकार व जिला प्रशासन के प्रयासों का परिणाम इस बार मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में नजर आने लगेगा. बीते पांच साल की तुलना में इस बार जिले में सर्वाधिक लड़कियां मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में शामिल होंगी.
सबसे बेहतर ग्राफ इंटर की परीक्षा का है. पहले यह देखा जाता था कि परिवार लड़कियों को मैट्रिक तक की शिक्षा दिलाने के बाद उसकी पढ़ाई बंद कर देता था. लेकिन, अब तस्वीर बदलने लगी है.
यह पुष्टि आंकड़े करते हैं. 2015-16 में 12वीं में महज 7400 लड़कियां इनरोल हुई थी, जबकि अब 2020-21 में 12वीं में 31,112 लड़कियां शामिल होंगी. यानी पांच वर्षों में इंटर परीक्षा देने वाली लड़कियों की संख्या 76.21 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
यह निश्चित तौर पर एक बड़ी सफलता है. इसी तरह मैट्रिक की परीक्षा की बात करें तो 2015-16 में मैट्रिक में 29758 लड़कियों का इनरोलमेंट हुआ था. जबकि अब 2020-21 में 41530 लड़कियां मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होंगी. यानी 28.39 प्रतिशत का इजाफा.
यह दोनों आंकड़े बता रहे हैं कि जिले में आधी आबादी शिक्षा के प्रति सजग हुई हैं. लोगों में आयी जागरूकता व समझदारी के साथ-साथ राज्य सरकार के स्तर पर लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चलायी जा रही योजनाओं का भी यह असर है .
इस बार मैट्रिक व इंटर की परीक्षा को मिला कर कुल 48.07 प्रतिशत छात्राएं परीक्षा में शामिल होंगी. मैट्रिक की परीक्षा में 41530 व इंटर की परीक्षा में 31112 लड़कियां परीक्षा शामिल होंगी.
मैट्रिक की परीक्षा में लड़कियों के लिए 35 व इंटर की परीक्षा में लड़कियों के लिए 37 परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं. लड़कों की बात करें तो इस बार मैट्रिक की परीक्षा में 42456 व इंटर की परीक्षा में 35992 लड़के शामिल होंगे. मैट्रिक के लिए 30 व इंटर के लिये 36 परीक्षा केंद्र लड़कों के लिए बनाये गये हैं.
दोनों परीक्षाओं को मिला कर कुल 1,51,090 विद्यार्थी इस बार बोर्ड की परीक्षा में शामिल होंगे. इनमें लड़कियों की संख्या 72642 है, यानी दोनों परीक्षाओं में कुल परीक्षार्थियों में 48.07 प्रतिशत लड़कियों की संख्या होगी.
वर्ष मैट्रिक इंटरमीडिएट
2015-16 29738 7400
2016-17 30254 6542
2017-18 31507 6928
2018-19 30885 10583
2019-20 35682 13878
2020-21 41530 31112
जिला शिक्षा पदाधिकारी मो. मुस्तफा हुसैन मंसूरी ने कहा है कि यह बहुत अच्छे संकेत हैं. लड़कियों की शिक्षा के प्रति खुद लड़कियां और उनके परिवार भी अब जागरूक हो गये हैं. राज्य सरकार के स्तर पर छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार की योजनाएं भी चलायी जा रही हैं.
नौकरी में लड़कियों को मिल रहे आरक्षण का भी असर है कि अब हर परिवार चाहता है कि उनकी बेटियां स्वावलंबी बनें. हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में यह ग्राफ और भी आगे बढ़ेगा.
Posted by Ashish Jha