गोलघर की सीढ़ियों पर आमलोग एक बार फिर चढ़ कर देख सकेंगे पटना का नजारा, 6 साल बाद फिर से होने जा रहा शुरू
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की द्वारा गोलघर की सीढ़ियों का निरीक्षण किया जायेगा. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो अगले महीने से आम लोग फिर से गोलघर की सीढ़ियों पर चढ़ कर ऊपर जा कर पूरे पटना का नजारा देख सकेंगे.
पटना के ऐतिहासिक गोलघर में आने वाले पर्यटक जल्द ही घुमावदार सीढ़ियों पर चढ़कर पटना के नजारे देख सकेंगे. पिछले 6 सालों से बंद पड़ा पटना का ऐतिहासिक गोलघर एक बार फिर से शुरू होने जा रहा है. गोलघर की सीढ़ियां टूट चुकी थीं और कई जगहों पर क्रैक आ गये थे, जिसके बाद इसे आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था और सीढ़ियों की मरम्मत शुरू कर दी गयी थी. इसकी जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को दी गयी थी. अब इसका काम लगभग पूरा हो चुका है.
निरीक्षण में सबकुछ ठीक रहा तो अगस्त में हो जायेगा शुरू
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर सचिव दीपक आनंद ने बताया कि कार्य पूरा होने के बाद गोलघर का निरीक्षण किया गया था. निरीक्षण में सीढ़ियों की मरम्मत के बाद भी इसमें कुछ खामियां पायी गयी थीं. इसकी सूचना तुरंत एएसआइ को चिट्ठी के माध्यम से दी गयी. एएसआइ की ओर से इसी हफ्ते इसे ठीक कराया गया है. विभाग की ओर से दुबारा से इन सीढ़ियों का निरीक्षण किया जायेगा. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो अगले महीने से आम लोग फिर से गोलघर की सीढ़ियों पर चढ़ कर ऊपर जा कर पूरे पटना का नजारा देख सकेंगे. 96 लाख की लागत से गोलघर की मरम्मत का काम चल रहा था, जो अब पूरा हो चुका है.
20 जुलाई को 237 साल का हो जाएगा गोल घर
गंगा नदी के किनारे व गांधी मैदान के पश्चिम में ऐतिहासिक धरोहर गोलघर बना हुआ है. पटना आने वाले पर्यटकों क मुख्य आकर्षण गोलघर 20 जुलाई साल 2023 को 237 साल का हो जाएगा. गोलघर का निर्माण कार्य वर्ष 1786 में पूरा हुआ था. जिसके बाद से लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
अनाज के भंडारण के लिए किया गया था निर्माण
पटना में गोलघर का निर्माण अंग्रेजों ने अनाज के भंडारण के लिए कराया था. जिसके बाद गुजरते वक्त के साथ यह ऐतिहासिक स्मारक पटना की पहचान बन गया है. दरअसल वर्ष 1770 में भयंकर सूखा पड़ा था. इस दौरान करीब एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए थे. जिसके बाद उस वक्त के गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग अकाल की इस समस्या का एक स्थाई समाधान तलाश रहे थे. इसी दौरान गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स को 20 जनवरी 1784 को खाद्यान्न के एक कारोबारी जेपी ऑरियल ने एक बड़ा अन्न भंडार बनाने की सलाह दी थी. जिसके बाद गवर्नर जनरल ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई.
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गोल घर में 1,40,000 टन अनाज रखने की क्षमता
20 जनवरी 1784 को अनाज के भंडारण के लिए ब्रिटिश इंजिनियर कप्तान जॉन गार्स्टिन ने एक गोल ढांचे का निर्माण शुरू किया. इस गोल ढांचे जिसे गोल घर कहा जाता है में ब्रिटिश फौज के लिए अनाज सुरक्षित रखने की योजना थी. इसका निर्माण कार्य महज ढाई साल में ब्रिटिश राज में 20 जुलाई 1786 को पूरा कर लिया गया था. इसमें एक साथ 1,40,000 टन अनाज रखा जा सकता है.
29 मीटर ऊंचा है गोलघर
गोलघर की ऊंचाई 29 मीटर एवं दीवारों की मोटाई 3.6 मीटर है. इसके साथ ही गोलघर के शिखर पर तीन मीटर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ ही गोलघर के उपर 2.7 फीट व्यास का छिद्र है जहां से इसके अंदर अनाज डाला जाता था. गोलघर के शीर्ष पर जाने के लिए 145 सीढ़ियों का भी निर्माण किया गया था.