20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

10 करोड़ का गोलू-2 भैंसा साल में कमाता 25 लाख, इसके बच्चे की संख्या जानकर हो जायेंगे हैरान

गोलू-2 उर्फ घोल्लू की कीमत 10 करोड़ आंकी गयी है. करीब छह साल के भैंसे गोलू नरेंद्र के घर तीसरी पीढ़ी है. नरेंद्र कहते हैं कि इसके दादा पहली पीढ़ी थे जिसका नाम गोलू था. उसका बेटा बीसी 448 को गोलू-1 कह सकते हैं. यह गोलू का पोता है.

पटना. बिहार में आयोजित सोनपुर मेले में तो तरह-तरह के पशु आये हुए हैं, लेकिन पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में आजकल मुर्रा नस्ल के भैसें गोलू को देखने के लिए किसानों और पशुपालकों की भीड़ उमड़ पड़ी है. मंगलवार को यह अपने मालिक हरियाणा के नरेंद्र सिंह के साथ यहां पहुंचा है और 23 दिसंबर तक यहां रहेगा. नरेंद्र सिंह अपने भैंसे को घोल्लू बुलाते हैं. इस गोलू-2 उर्फ घोल्लू की कीमत 10 करोड़ आंकी गयी है. करीब छह साल के भैंसे गोलू-2 नरेंद्र सिंह के घर तीसरी पीढ़ी है. नरेंद्र कहते हैं कि इसके दादा पहली पीढ़ी थे जिसका नाम गोलू था. उसका बेटा बीसी 448 को गोलू-1 कह सकते हैं. यह गोलू का पोता है. नरेंद्र बताते हैं कि गोलू-2 का सीमेन बेचकर वो एक साल में 25 लाख रुपये कमा लेते हैं. नरेंद्र का दावा है कि गोलू-2 इनके इशारे समझता है.

भोजन पर करीब 30 से 35 हजार प्रति माह खर्च

गोलू-2 का वजन करीब 15 क्विंटल है, जबकि ऊंचाई करीब साढ़े पांच फीट है. 10 करोड़ के भैंसे गोलू-2 की चौड़ाई साढ़े तीन फुट है जबकि लंबाई 14 फुट है. अक्सर यह चर्चा रहती है कि 10 करोड़ के भैंसे गोलू की खुराक में ड्राई फ्रूट शामिल रहता है. इसपर नरेंद्र सिंह स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि ऐसा नहीं है. गोलू प्रतिदिन करीब 35 किलोग्राम सूखा और हरा चारा और चने खाता है. इसके साथ ही उसकी डाइट में 7 से 8 किलो गुड़ भी शामिल है. उसे घी और दूध भी कभी कभार ही मिलता है. ड्रायफ्रूट जैसे चीज उसे कभी नहीं दी जाती है. इसके भोजन पर करीब 30 से 35 हजार प्रति माह खर्च है.

पानीपत जिले के डिडवारी गांव के रहने वाले हैं नरेंद्र

नरेंद्र सिंह पेशे से पशुपालक हैं. वह हरियाणा के पानीपत जिले के डिडवारी गांव के रहने वाले हैं. पशुपालन में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2019 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. नरेंद्र सिंह कहते हैं कि गोलू-2 अपने पिता और दादा से बेहतर भैंसा है. प्रदर्शनियों में यह जलवे बिखेरता है. गोलू सेकंड ने अब तक 30 हजार के करीब अपने जैसे हृष्ट-पुष्ट उत्तराधिकारी को पैदा कर चुका है. इसके एक संतानका नाम कोबरा रखा गया है. नरेंद्र सिंह बताते हैं कि गोलू के सीमन की देशभर में ही नहीं देश के बाहर भी डिमांड है, मगर नरेंद्र सिंह किसी सप्लायर को नहीं बल्कि वे सिर्फ किसान पशुपालकों को ही सीमन देते हैं.

Also Read: बिहार घूमने आये देश दुनिया से रिकार्ड 6.74 करोड़ पर्यटक, मेजबानी में बोध गया से आगे निकला राजगीर

14 साल तक इसे सुरक्षित रखना चुनौती

पशुपालक नरेंद्र सिंह अपने भैसें गोलू को लेकर देश भर में होने वाले मेलों में जाते हैं. इसी क्रम में राकेश कश्यप के बुलाने पर वो बिहार आये हैं. नरेंद्र सिंह बताते हैं कि लंपी बीमारी के कारण पिछले साल वह अपने 10 करोड़ के भैंसे गोलू-2 को किसी प्रतियोगिता में लेकर नहीं जा सके थे. उन्होंने बताया कि गोलू भैंसे की उम्र अभी छह साल ही है. इस नस्ल के भैंसे की औसत आयु करीब 20 वर्ष होती है, इसलिए 14 साल तक इसे सुरक्षित रखना चुनौती है. गोलू की सेवा में परिवार के सभी सदस्य जुटे रहते हैं. गोलू-2 के मालिक नरेंद्र सिंह का कहना है कि अच्छे सीमन का प्रयोग करके अच्छे भैसे और भैंस तैयार करना उनका लक्ष्य, ताकि देश में दूध- दही की कभी कमी न हो.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें