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Good News : बिहार के 20 प्रतिशत बच्चों में पहले से थी एंटीबॉडी, वैक्सीन ट्रायल के बाद तीसरी लहर का खतरा हुआ कम

पटना एम्स में बच्चों पर चल रहे वैक्सीन के ट्रायल के दौरान 20% बच्चों में चिकित्सकों ने पहले से ही एंटीबॉडी विकसित होते देख इसे अच्छा संकेत माना है. डॉक्टरों ने जब इसकी जानकारी अभिभावकों को दी, तो सभी काफी खुश हुए.

फुलवारीशरीफ. पटना एम्स में बच्चों पर चल रहे वैक्सीन के ट्रायल के दौरान 20% बच्चों में चिकित्सकों ने पहले से ही एंटीबॉडी विकसित होते देख इसे अच्छा संकेत माना है. डॉक्टरों ने जब इसकी जानकारी अभिभावकों को दी, तो सभी काफी खुश हुए.

पटना एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों के ट्रायल के दौरान उनमें एंटीबॉडी बनता हुआ देखा जाना इस बात के संकेत हैं कि तीसरी लहर में कोरोना का असर बच्चों पर कम हो सकता है. अब तक पटना एम्स में 27 बच्चों का ट्रायल कोरोना वैक्सीनेशन का हो चुका है, जिसमे 20% बच्चों में एंटीबॉडी विकसित होते देखी गयी है.

इस संबंध में कोरोना नोडल ऑफिसर डॉ संजीव कुमार ने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन के ट्रायल में जिन बच्चों में पहले से कोरोना से बचाव के लिए एंटीबॉडी तैयार होती मिली है, उसके बारे में जांच के बाद ही पता चल पायेगा कि ये एंटीबॉडी नेचुरली बच्चों में विकसित हो रही हैं या कोई अन्य कारण है. संक्रमण अगर बच्चों के परिजन को हुआ होगा, तो ये एंटीबॉडी उससे बन सकती हैं.

ट्रायल से पहले की गयी जांच में हुआ खुलासा

पटना एम्स के डीन डॉ उमेश भदानी का कहना है कि देश में बच्चों वाली वैक्सीन का ट्रायल तेजी से चल रहा है. बच्चों में वैक्सीन का ट्रायल करने के पहले बच्चों की जांच की जाती है. इसमें आरटीपीसीआर के साथ खून की जांच भी शामिल है.

ट्रायल के पहले फेज में 12 से 18 साल तक के बच्चों पर ट्रायल किया गया. इसमें आये बच्चों की जब कोरोना जांच की गयी तो वह निगेटिव आयी, लेकिन एंटीबॉडी पायी गयी. पटना एम्स चल रहे ट्रायल की निगरानी करने वाले डॉ सीएम सिंह का कहना है कि अब तक फर्स्ट फेज में 12 से 18 साल के 27 बच्चों पर ट्रायल किया जा रहा है.

Posted by Ashish Jha

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