रिपोर्ट : सुमित कुमार
पटना. कभी बिजली की किल्लत झेलने वाला बिहार अब सरप्लस स्टेट बन गया है. पिछले दो वर्षों से बिहार के पीक डिमांड के मुकाबले बिजली की उपलब्धता काफी बेहतर हुई है. बिजली कंपनियों के एक अनुमान के मुताबिक मार्च 2024 तक बिहार के पास पीक डिमांड से करीब 30 फीसदी अधिक यानि 1284 मेगावाट सरप्लस बिजली उपलब्ध होगी. ऐसे में बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड ने उपलब्ध बिजली के प्रबंधन को लेकर कार्ययोजना तैयार की है. आपूर्ति कंपनियां सर्दियों में उपयोग के बाद बची बिजली को बेचने और गर्मियों में पीक आवर के लिए अतिरिक्त बिजली खरीदने को लेकर विशेषज्ञों से परामर्श ले रही है.
गर्मियों में उपलब्धता के हिसाब से नहीं होगी बिजली की किल्लत
बिजली कंपनी ने 2022-23 में पीक डिमांड से 510 मेगावाट, 2023-24 में 1380 मेगावाट और 2024-25 में 1284 मेगावाट अधिक बिजली की उपलब्धता रहने का अनुमान लगाया है. इसको देखते हुए गर्मियों में भी उपलब्धता के लिहाज से बिजली की किल्लत नहीं होगी. गर्मियों में आम तौर पर पीक आवर (शाम पांच बजे से रात्रि 11 बजे तक) बिजली की हाइ डिमांड होती है. ऐसे में उक्त अवधि के दौरान मांग के अनुसार पर्याप्त बिजली की उपलब्धता रखने पर काम किया जा रहा है.
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सर्दियों में मांग घटने पर बेची जायेगी शेष बिजली
बरसात के बाद सर्दियों में बिजली की मांग पीक डिमांड के मुकाबले आधी रह जाती है. चूंकि कंपनी का उत्पादन इकाइयों से बिजली का कोटा निर्धारित है, इसलिए वह इसे लेने से इंकार नहीं कर सकता. ऐसे में आपूर्ति कंपनियां उपयोग के बाद बची हुई बिजली को ट्रांसमिशन के जरिये खुले बाजार में बेचने की योजना पर काम कर रही है. इससे उनको सरप्लस बिजली नहीं लेने पर उत्पादन इकाइयों को बेवजह फिक्स चार्ज का भुगतान करने से राहत मिलेगी ही, अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने का मौका भी मिलेगा.
सिर्फ एनटीपीसी से बिहार को 7287 मेगावाट का कोटा
बिजली की उपलब्धता को देखें तो सिर्फ एनटीपीसी संयंत्रों से बिहार को 7287 मेगावाट कोटे की बिजली मिल रही है. बिहार सरकार की पनबिजली व सोलर परियोजनाओं से अगले एक से डेढ़ वर्षों में 600 से 800 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन संभव है. इसके साथ ही लंबी अवधि के समझौते के तहत भविष्य में भारत सरकार की कंपनी सोलर इनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से भी करीब 600 मेगावाट बिजली मिलनी है. इसको देखते हुए कंपनी के लिए बिजली का प्रबंधन महत्वपूर्ण हो गया है.
आधुनिकीकरण के बाद आया बदलाव
बिजली आपूर्ति व्यवस्था के जीर्णोद्धार व आधुनिकीकरण के बाद आया है. पिछले सात-आठ वर्षों में कंपनी ने उदय, सौभाग्य, आरडीएसएस सहित कई योजनाओं की मदद से ग्रिड, सब स्टेशनों व ट्रांसफॉर्मरों तक बिजली आपूर्ति व्यवस्था में काफी सुधार लाया है. पुराने तार व उपकरण बदले जाने के साथ ही नये ग्रिड-सब स्टेशनों की स्थापना की गयी. इसके साथ ही सरप्लस उपलब्धता से बिजली की कमी भी दूर हुई है. ऐसे में कंपनी अब गुणवत्तापूर्ण और निरंतर 24 घंटे बिजली की आपूर्ति पर फोकस कर रही है.
अगले दो वर्षों में खर्च होंगे करीब 24 हजार करोड़
बिहार में बिजली की आधारभूत व्यवस्था के पुनर्विकास, कृषि विद्युत कनेक्शन और स्मार्ट मीटर लगाये जाने पर अगले दो वर्षों में करीब 24 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इसमें साउथ बिहार में 10 हजार करोड़ रुपये जबकि नॉर्थ बिहार में करीब 14 हजार करोड़ रुपये की पूंजी लगायी जानी है. साउथ और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी स्टेट प्लान रि-कंडक्टरिंग प्रोजेक्ट के तहत बिजली की आधारभूत व्यवस्था को मजबूत करने में 7650 करोड़ रुपये का निवेश हो रहा है. इससे साउथ बिहार में 33 केवी की 1390 सर्किट किमी, 11 केवी की 16324 सर्किट किमी और 19736 सर्किट किमी लो टेंशन (एलटी) लाइनों को जबकि नॉर्थ बिहार में 33 केवी की 1715 सर्किट किमी, 11 केवी की 19342 सर्किट किमी और एलटी की 27993 सर्किट किमी लाइनों को मेंटेन किया जाना या बदला जाना है.
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों को बदला जायेगा
केंद्र सरकार ने 2024-25 तक बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार, औसत बिजली नुकसान को कम कर 15 फीसदी तक लाने और कंपनी घाटे को कम करने के लिए रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) लांच किया है. डिस्कॉम्स इस पर करीब 12.7 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनायी है. इसके तहत बड़ी मात्रा में 11 केवी लाइन और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों को बदला जायेगा.