गया. जिले के कई गांवों में बीते कुछ वर्षों में तसर रेशम कीट और लाह की मौजूदगी दिख रही है. यह जिले के लिए अच्छे संकेत हैं. मगध विश्वविद्यालय के पीजी डिपार्टमेंट आॅफ जुलाॅजी में पीएचडी स्काॅलर मो दानिश मसरुर ने इन कीटों की उपलब्धता की खोज की है.
इसकी रिपोर्ट उन्होंने जब सेंट्रल तसर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को भेजी, तो वहां भी गया में रेशम कीट और लाह की मौजूदगी की पुष्टि हुई. शोध के दौरान जिले के बंगाली बिगहा, इकावनपुर, सोलरा व चाकंद के इलाके में तसर रेशम कीट और बोधगया व बेला के इलाके में पीपल के पेड़ों पर लाह कीट स्वतंत्र अवस्था में पाये गये.
दानिश ने पाया कि गया में इनके प्रजनन और ग्रोथ दोनों के लिए मौसम अनुकूल है. दानिश ने अनुमान लगाया कि जिले में बड़ी संख्या में इन कीटों की उपलब्धता है.
सेंट्रल तसर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की मदद और गाइडलाइन को फाॅलो करते हुए वे इन कीटों की उपलब्धता की खोज और शोध दोनों कर रहे हैं.
Posted by Ashish Jha