आइएएस बनी जूही राय ने संबंधियों से लिया आशीर्वाद
महज 23 वर्ष की उम्र में जूही को यूपीएएससी में मिला 155वां रैंक गोपालगंज : सिविल सर्विसेज में 155वां रैंक पाकर आएएस बनी जूही राय ने संबंधियों के घर पहुंच कर आशीर्वाद लिया. जूही के घर पहुंचते ही रिश्तेदार उत्साह में डूब गये. मिठाई खिला कर आइएएस बेटी का स्वागत किया तथा अनुभव साझा किये. […]
महज 23 वर्ष की उम्र में जूही को यूपीएएससी में मिला 155वां रैंक
गोपालगंज : सिविल सर्विसेज में 155वां रैंक पाकर आएएस बनी जूही राय ने संबंधियों के घर पहुंच कर आशीर्वाद लिया. जूही के घर पहुंचते ही रिश्तेदार उत्साह में डूब गये. मिठाई खिला कर आइएएस बेटी का स्वागत किया तथा अनुभव साझा किये. सीमावर्ती कुशीनगर जिले के भिसवा सरकारी गांव के स्व अभिनाषचंद्र राय की छोटी बेटी जूही अपने बड़े पापा रामाकांत राय के साथ अपने पिता के मौसेरे भाई के घर यानी शहर के वार्ड नं 13 में रहनेवाले पूर्व विधायक स्व सिंहेश्वर शाही के पुत्र राकेश शाही के घर पहुंची. दरअसल महज 23 वर्ष की उम्र में जूही को आइएएस बनने का सपना साकार हुआ है.
इस सफलता के पीछे सगे-संबंधी और रिश्तेदारों का आशीर्वाद मान रही हैं. बड़े भाई सौरभ कुमार आइआइएम लखनऊ के छात्र हैं, जबकि बड़ी बहन अमृता राय बीटेक कर चुकी हैं. बचपन में ही पिता का साया उठ गया. बड़े पापा रामाकांत राय के निर्देशन में मां नीता राय की तपस्या ने बेटी को मुकाम दिलाया है. श्री शाही के घर पर गोपाल मोटर्स के एमडी राजीव कुमार उर्फ गप्पू सिंह आदि लोगों ने बेटी के स्वागत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा.
ईमानदारी से करें तैयारी, मिलेगी सफलता: छात्रों के लिए जूही राय ने प्रभात खबर से कहा कि प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले जरूरी है कि अपनी क्षमता का ईमानदारी के साथ आकलन करें. यदि आकलन में संबंधित परीक्षा के अनुसार क्षमता नहीं मिलती, तो उसमें कतई हाथ नहीं आजमाना चाहिए.
अगर खुद को उस लायक पाते हैं, तो फिर जिद, जुनून समर्पण के साथ लग जाइए. सफलता कदम चूमेगी. बेहतर मार्ग दर्शन से प्रतियोगी और सफलता की बीच की दूरी कम हो जाती है. सभी प्रतियोगियों को मेरी सलाह है कि सपने देखें और फिर क्षमता आंक कर उसे हकीकत बनाने में जुट जाएं.