हरि रूठे गुरु ठौर, गुरु रूठे नहीं ठौर, संतों नें बतायी गुरु की महिमा
गोपालगंज : शनिवार को एक मैरेज हाल में श्रीगुरु पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया़ आयोजन दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा गुरुदेव सर्वश्री आशुतोष महाराज जी को समर्पित था़ कार्यक्रम का शुभारंभ प्रार्थना और भजन से हुआ़ इस अवसर पर गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए साध्वी सुश्री समीक्षा भारती ने कहा कि हमारी […]
गोपालगंज : शनिवार को एक मैरेज हाल में श्रीगुरु पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया़ आयोजन दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा गुरुदेव सर्वश्री आशुतोष महाराज जी को समर्पित था़ कार्यक्रम का शुभारंभ प्रार्थना और भजन से हुआ़ इस अवसर पर गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए साध्वी सुश्री समीक्षा भारती ने कहा कि हमारी परंपरा में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर है़ उन्होंने कहा कि हरि रूठे गुरु ठौर हैं, गुरु रूठे नहीं ठौर. गुरु का अर्थ अंधकार दूर करके ज्ञान रूपी प्रकाश देनेवाला कहा गया है़
हमारे शास्त्र इस बात के गवाह हैं कि गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार संभव हो पाता है़ प्राचीन काल से गुरु भक्ति की परंपरा चली आ रही है़ पहले शिष्य आश्रम में रह कर गुरु से शिक्षा और दीक्षा ग्रहण करते थे और गुरु के समक्ष बलिदान करने की भावना भी रखते थे़ शिवाजी, एकलव्य ऐसे ही शिष्य उदाहरण हैं. गुरु आत्मा और परमात्मा के बीच का संबंध होता है़ गुरु से जुड़ कर ही जीव अपनी जिज्ञासाओं को समाप्त करने में सक्षम होता है तथा उसका साक्षात्कार प्रभु से होता है़ वहीं सुक्रमानंद जी ने गुरु को मार्गदर्शक और पथ प्रदर्शक बताया़