सीवान के मुफस्सिल थानाध्यक्ष से शोकॉज

गोपालगंज : न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी प्रतीक आनंद द्विवेदी के कोर्ट ने सीवान के मुफस्सिल थानाध्यक्ष से शोकॉज करते हुए कोर्ट में सदेह उपस्थित करने का निर्देश दिया है. पत्र में कहा गया है कि न्यायालय में लंबित वाद एमआइएससी 01/2017 बच्चा गोड़ बनाम बिहार सरकार की न्यायिक जांच के बाद में साक्षी दीपू कुमार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2017 4:42 AM

गोपालगंज : न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी प्रतीक आनंद द्विवेदी के कोर्ट ने सीवान के मुफस्सिल थानाध्यक्ष से शोकॉज करते हुए कोर्ट में सदेह उपस्थित करने का निर्देश दिया है. पत्र में कहा गया है कि न्यायालय में लंबित वाद एमआइएससी 01/2017 बच्चा गोड़ बनाम बिहार सरकार की न्यायिक जांच के बाद में साक्षी दीपू कुमार साह पिता रामाशंकर साह साकिन बलेहन थाना मुफस्सिल सीवान के साक्ष्य के लिए 30 मई, 2017 को जमानतीय अधिपत्र निर्गत किया गया है.

अबतक उक्त साक्षी ने न्यायालय में उपस्थित होकर अपना साक्ष्य नहीं दिया है और न ही थानाध्यक्ष द्वारा उक्त साक्षी के विरुद्ध निर्गत अधिपत्र का तामिला प्रतिवेदन ही भेजा गया है जिससे वाद की कार्रवाई लंबे समय से बाधित हो रही है. अत: इसकारण शोकॉज के द्वारा थानाध्यक्ष को यह निर्देश दिया जाता है कि वे दो सप्ताह के अंदर न्यायालय में सदेह उपस्थित होकर कारण स्पष्ट करें. किन परिस्थितियों में उनके द्वारा न्यायालय के आदेश का अनुपालन अबतक नहीं किया गया है. क्यों नहीं आपकी इस लापरवाही एवं कर्तव्य के प्रति उदासीनता की सूचना आपके वरीय पदाधिकारियों को दे दी जाये.

इधर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर से शोकॉज : न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी प्रतीक आनंद द्विवेदी के कोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के न्यूरो विभाग के प्रो (डॉ) विजय शंकर मौर्य से शोकॉज किया है. पत्र में कहा गया है कि न्यायालय में लंबित वाद एमआइएससी 01/2017 बच्चा गोड़ बनाम बिहार सरकार में आपके साक्ष्य के लिए न्यायालय से 28 अप्रैल, 2017 को सम्मन निर्गत करने के पश्चात अापने पत्राचार द्वारा न्यायालय से अनुरोध किया कि न्यायालय में अस्वस्थता के कारण उपस्थित होने में असक्षम हूं. तत्पश्चात आपको 30 मई को यह निर्देश दिया गया कि संबंधित वाद में जो कुछ भी साक्ष्य देना है शपथपत्र के साथ लिख कर न्यायालय को प्रेषित कर दें, परंतु अबतक आपके द्वारा न्यायालय को कोई लिखित साक्ष्य नहीं भेजा गया है, जिससे वाद की कार्रवाई लंबे समय से बाधित हो रही है. साथ ही ऐसा प्रतित हो रहा है कि आप जान-बूझ कर न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं कर रहे हैं. अत: शोकॉज नोटिस के द्वारा आपको यह निर्देश दिया जाता है कि एक सप्ताह के अंदर न्यायालय में सदेह उपस्थित होकर कारण स्पष्ट करें कि किन परिस्थितयों में आपके द्वारा न्यायालय के आदेश का अनुपालन अबतक नहीं किया गया है.

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