परवल की खेती कर बेटे को पढ़ा रहे इंजीनियरिंग

गोपालगंज : अक्सर देखते हैं कि गरीबी से निजात पाने के लिए कुछ लोग पारंपरिक खेती छोड़ व्यावसायिक खेती की ओर रुख करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शौकिया खेती करते हैं और सफलता के झंडे गाड़ देते हैं. ऐसे ही किसानों में एक हैं कुचायकोट प्रखंड के जोगीपुर पिपरा गांव के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2017 11:23 AM
गोपालगंज : अक्सर देखते हैं कि गरीबी से निजात पाने के लिए कुछ लोग पारंपरिक खेती छोड़ व्यावसायिक खेती की ओर रुख करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शौकिया खेती करते हैं और सफलता के झंडे गाड़ देते हैं.
ऐसे ही किसानों में एक हैं कुचायकोट प्रखंड के जोगीपुर पिपरा गांव के सबींद्र सिंह. इनके घर में लगभग सभी लोग सरकारी नौकरी में अच्छे ग्रेड पर तैनात हैं. केवल सबींद्र ने खेती को अपना मुख्य रोजगार बनाते हुए महत्व दिया. इनकी दिनचर्या परवल के खेतों से ही शुरू होकर वहीं समाप्त हो जाती है़ इन्होंने खेती की शुरुआत पारंपरिक खेती से की, लेकिन बाद में उनका मन इससे उचट गया और उन्होंने लीक से हट कर व्यावसायिक खेती की ओर कदम बढ़ाया़
पहले वर्ष प्रयोग के तौर पर उन्होंने पांच कट्ठे में परवल की खेती की, जिससे अच्छा मुनाफा मिला़ किसान की हिम्मत बढ़ी और उन्होंने एक बीघे में खेती करते हुए रकबा बढ़ा दिया़ अब सबींद्र ने एक बीघा जमीन केवल परवल की खेती के लिए ही छोड़ रखी है जिसमें प्रतिवर्ष अगस्त से लेकर अक्तूबर तक लतर बोया जाता है़ अप्रैल माह से ये लतर फल देने लगते हैं जिसका सिलसिला सितंबर-अक्तूबर तक चलता है़
पूरे वर्ष की इस खेती में कुल लागत मात्र 10 हजार की आती है और ये खेती पूरे वर्ष चलती है़ आज कल सबींद्र के खेत में खरीदारों की भीड़ लगी हुई है जो खेत से ही परवल खरीद कर ले जाते हैं. सबींद्र सिंह ने बताया कि शुरू से ही मैं खेती में था, अनुभव तो था लेकिन मैं अलग हट कर कुछ करना चाहता था़ काफी सोचने के बाद मैंने व्यावसायिक खेती की ओर कदम बढ़ाया और आज स्थिति यह है कि एक बीघा खेत केवल परवल की खेती के लिए रख छोड़ा है जिससे प्रतिवर्ष दो से तीन लाख की सालाना आय होती है.
परिवार के सभी सदस्य सरकारी सेवा में
परवल की खेती से सबींद्र अपने बड़े पुत्र अरविंद कुमार सिंह को इंजीनियरिंग की शिक्षा दिलवा रहे हैं. मंझले पुत्र प्रवीण कुमार को बीसीए की शिक्षा दिलवा रहे हैं. सबसे छोटा पुत्र सुनील अभी मैट्रिक में है़ सबसे बड़ी बात ये की सबींद्र केपरिवार के सभी लोग किसी-न-किसी सरकारी नौकरी में अच्छी जगहों पर हैं, लेकिन सबींद्र ने खेती को ही अपनी जीविका का प्रमुख साधन बनाया़
इनका कहना है कि खेती में बहुत सारे विकल्प हैं, लेकिन युवा इससे दूर
भागते हैं. युवाओं को चाहिए की अन्य विभागों के अलावा खेती पर भी ध्यान दें, जरूर फायदा होगा़

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