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बिहार : दहेज के खिलाफ जागरूक कर रहीं प्रो. नीलम, 1 दर्जन लड़कियों का कर चुकीं हैं उद्धार

अनुकरणीय : 1974 से बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ रही हैं जंग अशोक मिश्रा हथुआ : गोपालगंज िजले के हथुआ की बेटी नीलम श्रीवास्तव बाल विवाह और दहेज के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रही हैं. उनकी प्रेरणा से लगभग एक दर्जन परिवारों में लड़के-लड़कियों की शादी बिना दहेज की हुई है. […]

अनुकरणीय : 1974 से बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ रही हैं जंग
अशोक मिश्रा
हथुआ : गोपालगंज िजले के हथुआ की बेटी नीलम श्रीवास्तव बाल विवाह और दहेज के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रही हैं. उनकी प्रेरणा से लगभग एक दर्जन परिवारों में लड़के-लड़कियों की शादी बिना दहेज की हुई है.
उनकी और उनके तीन भाइयों की शादी भी दहेजमुक्त हुई, जिससे रिश्तेदारी में भी बिना दहेज की शादी होने लगी है. नीलम श्रीवास्तव ने 2012 में अपने पुत्र अस्तित्व अंकुर और 2014 में पुत्री की शादी बिना दहेज के करके खुद उदाहरण पेश की. वह कहती हैं कि दहेज के प्रति अधिकतर लोगों के रवैये में बदलाव हुआ है. संस्कृत महाविद्यालय की शिक्षक नीलम बाल विवाह और दहेज प्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए 1974 से ही अभियान चला रही हैं.
सोहागपुर पंचायत के डोमहा गांव की नीलम श्रीवास्तव के पिता डॉ राजेंद्र प्रसाद हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक थे. पढ़ाई के दौरान समाज में महिलाओं को शिक्षित बनाना नीलम का उद्देश्य था. वह गांव में लोगों को दहेज व बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने के लिए जागरूक करती थीं. कुछ लोग उनकी इस जागरूकता को असंभव बताते थे. 1976 में स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद नीलम ने संकल्प लिया था कि वह दहेज व बाल विवाह के खिलाफ मरते दम तक लड़ाई लड़ेंगी. सीवान जिले के अधिवक्ता सह जेपी सेनानी ज्वाला प्रसाद उनके संकल्प में काफी मदद करते हैं.
नीलम श्रीवास्तव की प्रेरणा से हथुआ प्रखंड के डोमहा गांव निवासी और पटना में कार्यरत शिक्षक समीर परिमल, सीवान के अविनाश कुमार, अभिनवमीत और लखनऊ की मीना देवी ने अपनी पुत्री गरिमा कुमार की शादी बिना दहेज के की.
नीलम श्रीवास्तव के इस कदम से लगभग 50 से अधिक परिवारों ने बिना दहेज करने का संकल्प लिया है. बहन रक्षा दल संस्थान में लगभग 100 से अधिक सदस्यों ने संकल्प लेकर दहेज के खिलाफ लोगों में जागरूकता लाने के लिए रणनीति बनायी है.
अपने बच्चों समेत परिवार के अन्य लोगों की शादी बिना दहेज के करायी
महिला संगठनों को देती हैं बल
प्रो नीलम श्रीवास्तव हथुआ स्थित बड़ा कोईरौली गांव के बहन रक्षा दल महिला संगठन के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. वह महिलाओं को घर की चौखट से निकल कर आगे बढ़ने की सलाह देती हैं. वह कहती हैं कि महिलाओं को गृहिणी तक सीमित नहीं रहना चाहिए.
उन्हें शिक्षित बनना चाहिए, जिससे समाज उन्हें बराबर समझे. वह कहती हैं, दहेज प्रथा व बाल विवाह के विरुद्ध समाज के हर तबके के लोगों को संकल्प लेना चाहिए. विशेषकर युवाओं को आगे आना चाहिए. बाल विवाह एक अक्षम्य अपराध है. किसी भी लड़का या लड़की का विवाह उसके शारीरिक अौर मानसिक रूप से वयस्क होने पर ही होना चाहिए.
कविताएं िलख कर लोगों में ला रहीं जागरूकता
प्रो नीलम दहेज को जड़ से खत्म करने के लिए कविता को माध्यम बनाती हैं. उनकी लिखी हुई कविता तोड़ चिलमन सड़क पर उतर आयेंगे, ऐ ना समझो की हम तुमसे डर जायेंगे, थाह लग जायेगी तेरी औकात की, हम बगावत पर जिस दिन उतर जायेंगे जैसी एक दर्जन से अधिक कविताएं समाज को प्रेरणा देती हैं. वह महिलाओं को आत्मनिर्भर होने के लिए भी प्रेरित करती हैं.

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