सदर अस्पताल में दवा का ”अकाल”, मरीज बेहाल
मरीजों को बाजार से खरीदनी पड़ती है महंगी दवा गोपालगंज : आपका कोई परिजन अथवा स्वयं बीमार है और इलाज सदर अस्पताल में कराना चाहते हैं तो जेब मजबूत कर लें. यहां आपको बेड के सिवाय कुछ भी नहीं मिलेगा. दवा के बारे में तो सोचे ही नहीं. यहां रूई, इंजेक्शन से लेकर सारी दवाएं […]
मरीजों को बाजार से खरीदनी पड़ती है
महंगी दवा
गोपालगंज : आपका कोई परिजन अथवा स्वयं बीमार है और इलाज सदर अस्पताल में कराना चाहते हैं तो जेब मजबूत कर लें. यहां आपको बेड के सिवाय कुछ भी नहीं मिलेगा. दवा के बारे में तो सोचे ही नहीं. यहां रूई, इंजेक्शन से लेकर सारी दवाएं आपको बाहर से लानी पड़ेंगी. हर दिन चादर बदलने की भी गारंटी नही है और न ही डॉक्टरों के आने की. हां, जूनियर डॉक्टर व नर्से जरूर बीच-बीच में आयेंगे. बाजार से महंगा दवा खरीदने को मरीज मजबूर हैं. जेनरिक दवा की काउंटर बंद हो जाने के कारण गरीब मरीजों को सर्वाधिक परेशानी है. ओपीडी में आनेवाले मरीजों को लौटना पड़ रहा.
जीवनरक्षक दवाओं का अभाव : सदर अस्पताल में मरीजों को जीवनरक्षक दवाएं भी नहीं मिल रहीं. त्वचा, मनोरोग व कैंसर की दवा अस्पताल में नहीं मिलती. इसके अलावा अस्पताल में फोर्टविन इंजेक्शन, जाइलोकेन, मैथरजीन, आक्सीटोसिन इंजेक्शन का लंबे समय से अभाव है. मेट्रोजिल, पेरीनार्म, एंटीबायोटिक एट्रोपिन, कोरामिल, पैरीमिलन, पेप्रासीलीन, सेलबेक्टम, एमाक्सी क्लेब, पेराज एसबीआई दवाओं के साथ-साथ एक्ट्रोज, आक्सोलाइट-एम जैसी ग्लूकोज की बोतल भी अस्पताल से मरीजों को नहीं मिलती.
पैथालॉजी में नहीं है अल्कोहल : अस्पताल में पैपस्मेयर जांच जिस स्लाइड से होती है, उसे जिस अल्कोहल में डाला जाता है वह यहां की लैब में नहीं है. इससे मरीजों को बाहर से जांच करानी पड़ रही है.