ऑक्सीजन बंद, अटकने लगीं सांसें, टॉर्च जलाकर हुआ इलाज

डेढ़ माह में दूसरी बार इमरजेंसी वार्ड में आयी बिजली की शिकायत स्वास्थ्य विभाग अनजान, सिविल सर्जन का आदेश भी बेअसर गोपालगंज : सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में गुरुवार को बार-बार बिजली गुल होने से मरीजों की सांसें अटकती रहीं. डॉक्टरों को टॉर्च जलाकर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा था. सुबह 7.30 बजे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2018 4:36 AM

डेढ़ माह में दूसरी बार इमरजेंसी वार्ड में आयी बिजली की शिकायत

स्वास्थ्य विभाग अनजान, सिविल सर्जन का आदेश भी बेअसर
गोपालगंज : सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में गुरुवार को बार-बार बिजली गुल होने से मरीजों की सांसें अटकती रहीं. डॉक्टरों को टॉर्च जलाकर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा था. सुबह 7.30 बजे के बाद इमरजेंसी वार्ड में बिजली अचानक गुल हो गयी, जिससे कई मरीजों का ऑक्सीजन बंद हो गया तथा सांसें अटकने लगीं. मरीजों ने हो-हल्ला शुरू कर दिया. डेढ़ घंटे बाद बिजली की आपूर्ति शुरू हुई. बताया जा रहा है जेनेरेटर खराब होने के कारण ऐसी समस्या आयी. सदर प्रखंड के हरबासा निवासी अरविंद यादव की पत्नी रविता देवी के परिजनों ने बताया कि ऑक्सीजन बिजली चालू होने पर मिल रही थी. बिजली गुल होने पर ऑक्सीजन बंद हो जा रहा था.
इसकी शिकायत अस्पताल उपाधीक्षक से करने पर अपने को छुट्टी में होने की बात बतायी. सिविल सर्जन के पास कॉल करने पर रिसीव नहीं हो सका. इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. वहीं, यूपी के तरेया सुजान थाने के तीन फेड़िया के 70 वर्षीय देवराज यादव के परिजनों ने बताया कि दिन में जेनेरेटर की सप्लाई नहीं आयी. बिजली रहने पर ही पंखा चल रहा था. समाचार लिखे जाने तक बिजली सप्लाई की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो सकी थी.
फ्लैश बैक
जा चुकी है नवजात की जान
इमरजेंसी वार्ड में एक वर्ष पूर्व दो नवजातों की मौत ऑक्सीजन के अभाव में हो चुकी है. नवजातों की मौत पर लोगों ने हंगामा किया था. इस मामले में डीएम के आदेश पर तत्कालीन सिविल सर्जन ने स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई भी की थी.
बंद हो जाता है बिजली से चलनेवाला ऑक्सीजन
बिजली चालू रहने पर ही मरीजों को मशीन से ऑक्सीजन मिल पाता है. बिजली की सप्लाई बंद होने पर ऑक्सीजन भी बंद हो जाता है. स्वास्थ्य विभाग को ऐसी परिस्थिति में ऑक्सीजन सिलिंडर को वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर रखनी चाहिए. परिजनों की मानें तो ऑक्सीजन सिलिंडर रहते हुए बिजली बंद होने पर नहीं चढ़ाया जाता है, जिसके कारण मरीज की जान जाने का खतरा भी रहता है.
क्या कहते हैं डीएस
बिजली समस्या की सूचना नहीं है. अगर ऐसी समस्या है तो इसे तत्काल दुरुस्त कराया जायेगा.
प्रभारी उपाधीक्षक, सदर अस्पताल
फ्लैश बैक
जा चुकी है नवजात की जान
इमरजेंसी वार्ड में एक वर्ष पूर्व दो नवजातों की मौत ऑक्सीजन के अभाव में हो चुकी है. नवजातों की मौत पर लोगों ने हंगामा किया था. इस मामले में डीएम के आदेश पर तत्कालीन सिविल सर्जन ने स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई भी की थी.
बंद हो जाता है बिजली से चलनेवाला ऑक्सीजन
बिजली चालू रहने पर ही मरीजों को मशीन से ऑक्सीजन मिल पाता है. बिजली की सप्लाई बंद होने पर ऑक्सीजन भी बंद हो जाता है. स्वास्थ्य विभाग को ऐसी परिस्थिति में ऑक्सीजन सिलिंडर को वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर रखनी चाहिए. परिजनों की मानें तो ऑक्सीजन सिलिंडर रहते हुए बिजली बंद होने पर नहीं चढ़ाया जाता है, जिसके कारण मरीज की जान जाने का खतरा भी रहता है.
क्या कहते हैं डीएस
बिजली समस्या की सूचना नहीं है. अगर ऐसी समस्या है तो इसे तत्काल दुरुस्त कराया जायेगा.
प्रभारी उपाधीक्षक, सदर अस्पताल
सोलर सिस्टम चालू नहीं होने से परेशानी
सदर अस्पताल में सोलर सिस्टम को लगाया गया है. प्रसव वार्ड की बिल्डिंग पर सोलर लगाया गया है. सोलर के जरिये ही अस्पताल में बिजली की सप्लाई करनी थी. लेकिन, यह सिस्टम अबतक चालू नहीं हो सका. इस कारण आये दिन बिजली की समस्या हो रही है.

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