गोपालगंज : सेंट्रल जेल जाने के भय से सजायाफ्ता कैदी ने अपनी पत्नी से दहेज उत्पीड़न की प्राथमिकी दर्ज करा ली, जिससे उसे सेंट्रल जेल नहीं भेजा जा सका. फर्जी केस होने का लाभ लेकर वह गोपालगंज जेल में छह वर्षों तक रहा. दहेज उत्पीड़न के केस की सुनवाई के दौरान एसडीजेएम अमित कुमार शर्मा की कोर्ट में इसका खुलासा हुआ.
कोर्ट में पुलिस और पीड़ित पक्ष की तरफ से साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया जा सका. कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ केस को झूठा पाते हुए खारिज कर दिया, बल्कि इस मामले में एसपी और जेल अधीक्षक को उचित कार्रवाई करने को कहा है. इससे पहले भी प्रभात खबर कई मामलों को सामने ला चुका है. क्या है घटना का सच: कुचायकोट थाने के असंदी महुअवा के रहने वाले टूनमून कुशवाहा को वर्ष 2008 में हुई एक हत्या के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश आठ के कोर्ट ने वर्ष 2013 में उम्रकैद की सजा सुनायी. जेल जाने के बाद सजायाफ्ता कैदियों को सेंट्रल जेल भेजने की तैयारी जेल प्रशासन ने की. 20 अगस्त, 2014 को उसे सेंट्रल जेल भेजना था. उसी दिन उसकी पत्नी ने महिला थाने में दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज करा दिया.