गोपालगंज :गोपालगंज के मीरगंज में जदयू के जिला महासचिव उपेंद्र सिंह को अपराधियों ने शुक्रवार की दोपहर गोलियों से छलनी कर दिया. घटना हथुआ थाना क्षेत्र के कपरपुरा गांव की है. हत्या के बाद अपराधी हथियार लहराते हुए भाग निकले. मृतक उपेंद्र सिंह की पत्नी नीलम देवी मटिहानी नैन पंचायत की मुखिया हैं. वारदात के पीछे राजनीतिक साजिश बतायी जा रही है. घटना की सूचना मिलने पर पहुंची हथुआ व मीरगंज थाने की पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर सदर अस्पताल भेज दिया.
जदयू नेता उपेंद्र सिंह के सीने में पांच गोलियां लगने की बात बतायी जा रही है. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने से पहले सदर अस्पताल में एक्सरे कराया. सिर और सीने में गोलियां दिखने के बाद पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल टीम का गठन किया गया. गोलियों को पुलिस फॉरेंसिक जांच के लिए लैब भेजेगी.
उधर, जदयू नेता की हत्या की सूचना मिलते ही आक्रोशित लोगों ने मीरगंज शहर की दुकानें बंद करा दीं और पुलिस के खिलाफ सड़क जाम कर प्रदर्शन किया. आक्रोशित लोगों ने मीरगंज थाने में तोड़फोड़ की. वहीं, सदर अस्पताल में शव पहुंचने के बाद लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. डीएम अनिमेष कुमार परासर, एडीएम डॉ शिव नारायण सिंह, एसपी नीरज कुमार समेत अन्य अधिकारियों ने परिजनों को समझा कर शांत कराया.
डीएम ने हत्या की उच्चस्तरीय जांच करने तथा वारदात में संलिप्त अपराधियों की गिरफ्तारी जल्द से जल्द कराने का आश्वासन दिया, जिसके बाद लोगों का आक्रोश शांत हुआ. देर शाम तक लोगों में हत्या के कारण आक्रोश था. पुलिस अधीक्षक राशिद जमां ने पूरे जिले में वारदात को लेकर अलर्ट जारी किया है. मीरगंज, हथुआ, उचकागांव, थावे के अलावा अन्य थानों की पुलिस अपराधियों की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी है.
बाइक पर बैठे को उतार कर किया हमला
वारदात के चश्मदीद संजय कुमार से पुलिस ने पूछताछ शुरू कर दी है. हथुआ ब्लॉक से मीरगंज आने के दौरान बाइक पर उपेंद्र के साथी संजय कुमार भी बैठे थे. संजय को अपराधियों ने बाइक से उतार दिया. इसके बाद गोलियां चलायीं. खेत की तरफ भागने पर दौड़ाकर गोलियां मारी गयीं. पुलिस ने अपराधियों के हुलिया के आधार पर गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू की है.
उपेंद्र सिंह तीन साल पहले भी अपराधियों के टारगेट पर थे. मीरगंज थाना क्षेत्र के सीवान-गोपालगंज एनएच-85 पर रानी बाग के समीप अपराधियों ने उपेंद्र को कंधे में गोली मारी थी. इस घटना में उपेंद्र की जान बच गयी थी. परिजनों ने बताया कि पत्नी के मुखिया बनने के बाद से ही उपेंद्र सिंह की जान को खतरा था.