बिहार के इस गांव में आज भी डाॅक्टर के पास खाट पर लाद कर जाते हैं मरीज, ये है वजह
गोपालगंज : आज केविकासके दौर में अगर कोई कहे कि मरीज खाट पर लाद कर ले जाये जाते हैं तो सहसा ही किसी को यकीन नहीं होगा़ लेकिन, बिहारमें गोपालगंज के बरौली प्रखंड में आज भी एक ऐसा गांव है जहां से मरीजों को खाट पर ही लाद कर ग्रामीण इलाज के लिए अस्पताल ले […]
गोपालगंज : आज केविकासके दौर में अगर कोई कहे कि मरीज खाट पर लाद कर ले जाये जाते हैं तो सहसा ही किसी को यकीन नहीं होगा़ लेकिन, बिहारमें गोपालगंज के बरौली प्रखंड में आज भी एक ऐसा गांव है जहां से मरीजों को खाट पर ही लाद कर ग्रामीण इलाज के लिए अस्पताल ले जाते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं प्रखंड के दक्षिणी छोर पर बसे विशुनुपुरा पंचायत के कुतुलुपुर गांव का़
इस गांव के नरेश भगत की तबीयत अचानक खराब हो गयी और उनको उल्टी तथा पेट दर्द होने लगा़ परिजनों नें घरेलू दवाएं दी, लेकिन तबीयत बिगड़ती गयी.इसीबीच कई डाॅक्टरों को फोन भी किया गया,हालांकि कोई आने को तैयार नहीं हुआ तो परिजनों ने थक हार कर नरेश भगत को खाट पर डाला और घुटने पर पानी पार करते हुए डाक्टर के पास गये तब मरीज की जान बची़ यही नहीं, दुल्हन भी पैदल हीं अपने ससुराल में पहला कदम रखती है तथा दुल्हा भी गांव से बाहर जाकर सवारी में बैठते हैं.
पानी से चारों ओर से घिरा रहता है गांव
सिधवलिया वितरणी से पश्चिम और बलहां से दक्षिण बसे इस गांव के चारों ओर अमूमन पानी लगा रहता है़ बिशुनपुरा होकर जाने का एक पतला सा रास्ता है, लेकिन वो भी अतिक्रमण से जूझ रहा है़ शेर और बलहां की ओर से निकलने पर केवल नाम की सड़क है जिस पर घुटने भर पानी सालों भर लगी रहती है़ चारपहिया को तो छोड़ दीजिए, कोई बाइक सवार भी गांव में जाने से घबराता है़
आवागमन की परेशानियों से जूझते इस गांव के ग्रामीणों का कहना है कि पता नहीं हमने कौन सा कर्म किया की इस गांव में जन्म हुआ. कई बार जनप्रतिनिधियों से फरियाद की, लेकिन लोग अनसुना कर देते हैं. यह समस्या वर्षों से चली आ रही है, लेकिन अभी तक किसी हाकिम का ध्यान ग्रामीणों की दुश्वारियों पर नहीं गया है और वे नारकीय जीवन जीने को विवश हैं.