कदम-कदम पर संघर्ष कर मुकाम हासिल कर रहीं महिलाएं

गोपालगंज : जिले की महिलाएं संघर्ष कर मुकाम हासिल कर रही हैं. घर से लेकर बाहर तक उन्हें संघर्ष करना पड़ता है. आज भी महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया अच्छी नहीं है. जब तक समाज के लोगों का नजरिया नहीं बदलेगा, तब तक घर की बहू-बेटियां भी महफूज नहीं होंगी. परिचर्चा में महिलाओं ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2019 7:22 AM
गोपालगंज : जिले की महिलाएं संघर्ष कर मुकाम हासिल कर रही हैं. घर से लेकर बाहर तक उन्हें संघर्ष करना पड़ता है. आज भी महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया अच्छी नहीं है. जब तक समाज के लोगों का नजरिया नहीं बदलेगा, तब तक घर की बहू-बेटियां भी महफूज नहीं होंगी.
परिचर्चा में महिलाओं ने खुलकर अपनी बात रखी. घर में हर मां बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच रखें और बहन की तरह उनका सम्मान करें. घर में बेहतर शिक्षा मिलना शुरू हो तो समाज में बदलाव स्वत: आने लगेगा.
आज घर से बाहर बेटियां निकलती हैं तो मनबढ़ युवकों का एक झुंड उन्हें परेशान करता है. सिर्फ कानून बनाने से महिला सुरक्षा नहीं होगी. इस सुरक्षा के प्रति महिला पुलिस को सख्ती बरतनी होगी. परिचर्चा के दौरान महिलाओं ने कहा कि आज बेटियों को फौलादी शिक्षा देने की जरूरत है. अगर वह घर से निकले और किसी के कारण उसे परेशानी हो तो उसका जवाब तुरंत दे सके.
उच्च शिक्षा का नहीं है इंतजाम
गोपालगंज शहर में बेटियों को लिए एक मात्र महेंद्र महिला कॉलेज है, जहां शिक्षक नहीं है. बेटियां चाह कर भी हायर एजुकेशन नहीं प्राप्त कर रही हैं. हर किसी को इतनी क्षमता नहीं कि अपनी बेटियों को स्नातक के बाद की पढ़ाई के लिए बाहर भेज सके.
महिलाओं ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों के बाद जिला मुख्यालय में बेटियों के लिए एमए की पढ़ाई नहीं होती है. यहां एमबीए और बीटेक के लिए पढ़ाई का इंतजाम नहीं है. रोजगार परख विषयों में पढ़ाई नहीं होने से आज भी शिक्षा का स्तर बेहतर नहीं हो पा रहा है. शिक्षा के बेहतर नहीं होने का नतीजा पूरे समाज को भुगतना पड़ रहा.
रूढ़िवादी विचारों का त्याग करे समाज
महिलाओं ने कहा कि रूढ़िवादी विचारों को समाज को त्यागना होगा. आज घर के भीतर महिलाओं की यह सोच संघर्ष करने पर विवश कर रहा है. बेटे की शादी के लिए दहेज भी महिलाएं ही तय कर रही हैं. दहेज नहीं मिलने पर घर के भीतर महिलाओं को प्रताड़ित करने से लेकर उनकी हत्या तक में शामिल होती हैं.
प्रत्येक दिन दो-चार घटनाएं सामने आ रही हैं. परिचर्चा में मुख्य रूप से श्वेता सिंह, ममता सिंह, शिखा शर्मा, रागिनी सिन्हा, काजल सिंह, रीना सिन्हा, अश्विनी राव, अनीता सिन्हा, राखी सिंह, संध्या राय, प्रतिभा राय, सुषमा श्रीवास्तव, रुचिका देवी ने प्रमुख रूप से मुद्दों को उठाया.
बेटियों और महिलाओं के प्रति लांछन लगाने के बजाय उनका बढ़ाया हौसला
कामकाजी महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलें
महिलाओं को घर से बाहर कदम रखते ही अपने दायरे में खुद को रखना होगा
समाज तेजी से बदल रहा है, महिलाएं भी अब गलत कार्यों का खुल कर विरोध करें
अगर कोई परिवार दहेज मांग रहा है तो उनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए
घर में महिलाओं को सम्मान मिले, बहू और बेटियों में अंतर खत्म होना चाहिए
शिक्षा के क्षेत्र में मौका िमले समाज में मुकाम हासिल करेंगी
संघर्षों से घबराएं नहीं, डट कर मुकाबला करें
महिलाओं को संघर्षों से घबराने के बजाय डट कर मुकाबला करने की जरूरत है. महिलाएं अपनी मंजिल खुद तय करें. परिवार का सपोर्ट लें. पूरी ईमानदारी से अपनी मंजिल पाने के लिए आगे बढ़ें, हर कदम पर सफलता मिलेगी. कठिनाइयां बहुत हैं.
डॉ आर तबस्सुम, प्रसूति रोग विशेषज्ञ
महिलाएं बदल रहीं समाज की रूढ़िवादिता
मुझे भी अपनी मंजिल पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा था. रूढ़िवादी विचारों को बदल कर समाज के माहौल को महिलाएं बदल रही हैं. आज इस भौतिकवादी युग में महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत होना होगा, जिससे वे अपने दम पर अपनी तकदीर लिख सके.
डॉ सुमन, प्रसूति रोग विशेषज्ञ
खुलकर करें विरोध, कानून देगा साथ
महिलाएं उत्पीड़न या किसी भी गलत काम का खुल कर विरोध करें. कानून उनका साथ देगा. सिर्फ शिकायत करने की जरूरत है. महिलाएं डरें नहीं, परिस्थितियां बदल चुकी हैं. न्याय दिलाने के लिए महिला हेल्पलाइन कोषांग 24 घंटे काम कर रहा है.
नाजिया मुमजात, परियोजना निदेशक, महिला हेल्प लाइन
महिलाओं को अधिकार दिलायेगा कानून
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाये गये हैं. ऐसे में महिलाओं को किसी से डरने की जरूरत नहीं, अगर उनके अधिकार क्षेत्र में कोई बाधा उत्पन्न होता है तो उसकी तुरंत शिकायत करें. उन्हें सजा दिलायी जायेगी. कानून उनके साथ है.
अपसान परवीन, दारोगा, महिला थाना

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