परिजनों की लाचारी से सड़क पर उतरने को विवश हुए ग्रामीण
गोपालगंज : बेरहमी से पिटाई में घायल सिया बिहारी के इलाज में परिजनों के द्वारा कर्ज लेकर एवं चंदा जुटाकर लगभग छह लाख रुपये खर्च कर दिये गये. 12 दिनों तक पीजीआइ लखनऊ में मौत से जूझने के बाद वह रविवार को जीवन की जंग हार गया. उसकी मौत की खबर जब कररिया गांव में […]
गोपालगंज : बेरहमी से पिटाई में घायल सिया बिहारी के इलाज में परिजनों के द्वारा कर्ज लेकर एवं चंदा जुटाकर लगभग छह लाख रुपये खर्च कर दिये गये. 12 दिनों तक पीजीआइ लखनऊ में मौत से जूझने के बाद वह रविवार को जीवन की जंग हार गया. उसकी मौत की खबर जब कररिया गांव में पहुंची तो परिजनों की लाचारी को देख ग्रामीण सड़क पर उतरने को विवश हो गये. पौ फटने से पहले कररिया मोड़ पर शव को रखकर चारों तरफ से सड़क को जाम कर बवाल किया गया. स्थिति विस्फोटक होने लगी.
तीन घंटे तक हंगामे के बीच बीडीओ ने प्रशासन की ओर से कबीर अंत्येष्टि के तीन हजार रुपये दाह-संस्कार के लिए उपलब्ध कराये. साथ ही प्रशासन की तरफ से मिलने वाली मुआवजा राशि का भरोसा दिलाकर लोगों को शांत कराने में सफल रहे. पुलिस की मौजूदगी में दोपहर में अंतिम संस्कार हुआ. ग्रामीणों की मांग थी कि अनाथ हुए बच्चे की पढ़ाई, उनके शादी-विवाह के लिए उचित मुआवजा मिले. 20 लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग की जा रही थी. प्रशासन की तरफ से उचित नियमानुकूल मुआवजा देने की बात कही गयी है. घटना को लेकर टकराव की स्थिति बनी हुई थी.
कानून को हाथ में लेने से बिगड़ी स्थिति : लखपतिया मोड़ पर कररिया गांव के रहने वाले सिया बिहारी प्रसाद पर सिर्फ इसलिए जानलेवा हमला हुआ कि उनकी बाइक से लखपतिया मोड़ के मनोज शर्मा की पत्नी को झटका लग गया था. लोगों ने कानून का सहारा लेने के बजाय 14 मई की रात अपना आपा खो दिया. नियमानुसार सिया बिहारी को पकड़कर पुलिस को सौंपना चाहिए था. ऐसा नहीं हुआ, कानून को हाथ में लेते हुए सिया बिहारी पर हथौड़ा और रॉड से हमला किया गया.
उसकी बाइक को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया. लहूलुहान स्थिति में मरने के लिए छोड़ दिया गया. इसी बीच कररिया गांव के लोगों ने जब घायल अवस्था में देखा तो उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया था. इस मौत के बाद गांव के लोगों में जहां आक्रोश है, वहीं अब हमलावरों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं.