अपनी बर्बादी के लिए इंजीनियरों को जिम्मेदार मान रहे पीड़ित
संजय कुमार अभय, गोपालगंज : पॉलीथिन सीट के नीचे रह रही रमावती देवी के दिल में गम और आंखों में आंसू हैं. महम्मद अशरफ के कलेजे में आज भी उजड़ने का दर्द दफन है. सरकार से कोई सहयोग नहीं मिलने का मलाल भी. वर्ष 2017 तक इनकी भी अपनी हंसती-खेलती गृहस्थी थी. गंडक नदी के […]
संजय कुमार अभय, गोपालगंज : पॉलीथिन सीट के नीचे रह रही रमावती देवी के दिल में गम और आंखों में आंसू हैं. महम्मद अशरफ के कलेजे में आज भी उजड़ने का दर्द दफन है. सरकार से कोई सहयोग नहीं मिलने का मलाल भी. वर्ष 2017 तक इनकी भी अपनी हंसती-खेलती गृहस्थी थी.
गंडक नदी के कटाव से इनको उजड़ना पड़ा. आज पूरा कुनबा एक बांध पर गुजर-बसर कर रहा है. कल तक दूसरे को सहारा देने वाला यह परिवार आज दाने-दाने को मोहताज है. इनके जैसे सैकड़ों पीड़ित परिवार अपनी बर्बादी के लिए अभियंताओं को दोषी मान रहे हैं. इनका मानना है कि वक्त रहते अगर बचाव कार्य शुरू हो गया होता, तो कटाव से गांव को बचाया जा सकता था. अपनी बर्बादी की कहानी बताकर ये फफक पड़ते हैं.
अशरफ ने बताया कि नौ सितंबर 2017 को गांव के करीब गंडक नदी कटाव कर रही थी. भसही स्कूल पर तेजी से कटाव होने लगा. जब इसकी सूचना अभियंताओं को देकर कटाव रोकने की अपील की गयी, तो तीन दिनों तक कोई बचाव कार्य नहीं किया गया. अभियंता इस फिराक में थे कि स्थिति विकराल हो, तब बचाव कार्य शुरू किया जाये, ताकि लूटपाट की जा सके. 13 सितंबर 2017 को ग्रामीणों का धैर्य टूट गया.
अभियंताओं को बंधक बना लिया गया, ताकि उनकी बात सुनकर बचाव कार्य को तेज किया जा सके. इसकी सूचना पर पहुंचे अधिकारियों ने ग्रामीणों पर लाठी बरसा दी. बाद में ग्रामीणों के विरोध पर प्रशासन को भागना पड़ा. इसके बाद बचाव कार्य शुरू हुआ, लेकिन गांव को कटने से रोका नहीं जा सका. तब काला मटिहनियां का वार्ड एक तथा भसही दलित टोला पूरी तरह से नदी में समा गया.
उजड़ने के पीछे भी इन्हीं अभियंताओं की भूमिका
पीड़ितों की माने तो गांव में कटाव शुरू हुआ तो उस वक्त भी मुख्य अभियंता मुरलीधर सिंह, अधीक्षण अभियंता जितेंद्र प्रसाद ही कार्यरत थे. इनकी भूमिका को लेकर ग्रामीणों ने उसी वक्त सवाल उठाया था. तब ग्रामीणों की बात किसी ने नहीं सुनी.
ठेकेदार कांड के बाद अभियंताओं की खुली पोल : कुचायकोट प्रखंड के विशंभरपुर, कालामटिहनियां, भसही में कटाव से पीड़ित परिवार के लोग भले ही आज तटबंध पर हैं, लेकिन अभियंताओं की क्रूरता की कहानी इनके जेहन में आज भी है. ठेकेदार रामाशंकर सिंह को जलाकर मारने की घटना से ये लोग भी आहत हैं. अभियंताओं पर प्रशासनिक कार्रवाई ठेकेदार की मौत के बाद शुरू हुई है. अगर कटाव के दौरान ही इन पर कार्रवाई हुई रहती, तो शायद इन ग्रामीणों को यह दिन देखना नहीं पड़ता.
दोषी अभियंताओं को किसी स्थिति में नहीं बख्शा जायेगा
ठेकेदार रामाशंकर सिंह की मौत के मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. दोषी जो भी होंगे बख्शे नहीं जायेंगे. विभागीय कार्रवाई से लेकर उनके रिश्वत से जुड़े सभी मामलों की जांच चल रही है. सीआइडी, इडी, पुलिस के अलावे जिला प्रशासन की टीम पूरे प्रकरण को खंगाल रही है.
अनिमेष कुमार पराशर, डीएम गोपालगंज