पटना / गोपालगंज : खजुरबानी में जहरीली शराब से 19 लोगों की मौत के मामले में सिविल कोर्ट में सुनवाई पर हाइकोर्ट ने शुक्रवार को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति एस कुमार की अदालत ने अंगद प्रसाद की अर्जी पर बचाव पक्ष के वरीय अधिवक्ता यदुवंश गिरि की दलीलों को सुनने के बाद यह रोक लगायी है.
जानकारी के मुताबिक, हाइकोर्ट ने सिविल कोर्ट की विशेष अदालत में चल रही खजुरबानी मामले की सुनवाई से जुड़ी फाइलें मांगी हैं. हाइकोर्ट की ओर से अगली सुनवाई के लिए पांच फरवरी की तिथि निर्धारित की गयी है. नगर थाने के खजुरबानी शराबकांड (348/16) में 19 लोगों की मौत होने की प्राथमिकी दर्ज हुई थी. मामले में एडीजे-2 देवव्रत त्रिपाठी की अदालत में ट्रायल चल रहा था. मामले में कुल 20 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है. बचाव पक्ष के अधिवक्ता वेद प्रकाश तिवारी ने बताया कि कांड में प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है. साथ ही कई त्रृटियां हैं. इससे केस मेंटनेंस के लायक नहीं पाया गया. इस कारण हाइकोर्ट ने केस की सुनवाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगायी है.
अब तक 13 लोगों की हो चुकी गवाही
खजुरबानी मामले में अब तक 13 लोगों की गवाही पूरी हो चुकी थी. कुल 40 लोगों की गवाही होनी थी. सरकार की ओर से उत्पाद विभाग के विशेष लोक अभियोजक रविभूषण श्रीवास्तव और बचाव पक्ष से वरीय अधिवक्ता सह पूर्व पीपी रामनाथ साहू, वेदप्रकाश तिवारी और विनय मिश्रा अपना पक्ष रख रहे थे.
क्या है मामला?
नगर थाना क्षेत्र के खजूरबानी मोहल्ले में गत 15-16 अगस्त, 2016 को जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गयी थी. मौत के बाद उत्पाद और पुलिस अधिकारियों की टीम ने खजूरबानी में छापेमारी कर भारी मात्रा में जहरीली शराब बरामद की थी. पुलिस ने मामले में नगर थाने में दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की थीं. तत्कालीन सदर इंस्पेक्टर निगम कुमार वर्मा ने मौत के मामले की प्राथमिकी दर्ज करायी थी, तो तत्कालीन नगर इंस्पेक्टर बीपी आलोक ने शराब बरामदगी मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. मुख्य आरोपित को छोड़ कर सभी आरोपित जेल जा चुके हैं. इस चर्चित मामले में पुलिस ने अदालत में अपनी जांच रिपोर्ट पूरी कर अंतिम प्रतिवेदन सौंप चुकी है.