पढ़ाई पर सर्दी भारी, कैसे हो परीक्षा की तैयारी
गोपालगंज. इंटर परीक्षा 18 फरवरी तथा मैट्रिक की परीक्षा 17 मार्च से शुरू होनी है. कोर्स अधूरा है. उस पर कड़ाके की ठंड. छह हफ्ते बचे हैं. इनमें छुट्टियां ही छुट्टियां साथ में बोर्ड प्रैक्टिकल परीक्षा भी. सवाल है कि आखिर क्यों पैदा हुई यह समस्या? कैसे होगा कोर्स पूरा? क्या बिना पढ़ाई किये ही […]
गोपालगंज. इंटर परीक्षा 18 फरवरी तथा मैट्रिक की परीक्षा 17 मार्च से शुरू होनी है. कोर्स अधूरा है. उस पर कड़ाके की ठंड. छह हफ्ते बचे हैं. इनमें छुट्टियां ही छुट्टियां साथ में बोर्ड प्रैक्टिकल परीक्षा भी. सवाल है कि आखिर क्यों पैदा हुई यह समस्या? कैसे होगा कोर्स पूरा? क्या बिना पढ़ाई किये ही देनी होगी 42 हजार विद्यार्थियों को परीक्षा? क्या है इसका समाधान.जी हां, बिहार बोर्ड से संबद्ध इंटर कॉलेजों के हाइस्कूलों में 42 हजार व इंटर के करीब 26.85 हजार दूसरी कक्षाओं के छात्र-छात्राएं बिना पूर्व तैयारी के कॉलेजों के सत्र परिवर्तन की व्यवस्था में फंस गये हैं. बिहार बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षा का पहला दौर चल रहा है. इन दिनों इस सब की तैयारी कड़ाके की ठंड में फंस गयी है. कॉलेजों में चार जनवरी तक छुट्टी है. आगे भी ठंड खत्म होने की संभावना नहीं दिखती.पढ़ाई की शोचनीय तसवीरअधिकतर कॉलेजों में पढ़ाई की स्थिति चिंताजनक है. दिसंबर में छमाही परीक्षा ली गयी. छमाही परीक्षा तक 50 से 60 फीसदी कोर्स खत्म कराना होता है. वैसे तो सभी कॉलेज इतना कोर्स नहीं करा पाये, परंतु इसे मान भी लिया जाये, तो अधिकतर कॉलेजों में छमाही परीक्षा के बाद परिणाम ही वितरित हो पाये थे कि जाड़े की छुट्टी कर दी गयी. कॉलेज खुलने के बाद 10 फीसदी से अधिक कोर्स नहीं पढ़ाया जा सकेगा. नतीजा, छात्रों को 60 फीसदी पढ़ाई पर ही संतोष करना पड़ेगा.प्रयोगशाला तैयार नहींज्यादातर उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों की प्रयोगशाला तैयार नहीं हैं, जबकि बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा का पहला चक्र चल रहा है. छात्रों के सामने समस्या है कि वे थ्योरी का पिछड़ा कोर्स पूरा करें अथवा प्रैक्टिकल की तैयारी?