तो मेरी मां मुझे सीने से लगा लेती है

पंचदेवरी में कवि सम्मेलनसंवाददाता, पंचदेवरी’हर चीज को करीने से सजा देती है, भंवर से सफीने को बचा लेती है, और जब भी बाबूजी गुस्सा होते हैं, मेरी मां मुझे सीने से लगा लेती है’. युवा साहित्यकार व कवि विवेका मिश्र ने जब अपना अल्फाज सुनाया, तो पूरा महफिल तालियों से गूंज उठा. मौका था डॉ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2015 6:02 PM

पंचदेवरी में कवि सम्मेलनसंवाददाता, पंचदेवरी’हर चीज को करीने से सजा देती है, भंवर से सफीने को बचा लेती है, और जब भी बाबूजी गुस्सा होते हैं, मेरी मां मुझे सीने से लगा लेती है’. युवा साहित्यकार व कवि विवेका मिश्र ने जब अपना अल्फाज सुनाया, तो पूरा महफिल तालियों से गूंज उठा. मौका था डॉ मैनेजर पांडेय सेवा संस्थान द्वारा संचालित साहित्य संकुल द्वारा आयोजित मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सह कवि सम्मेलन का. प्रखंड के टॉपर्स एकेडमी के प्रांगण में रविवार की देर शाम घंटों साहित्य रस की बारिश होती रही और श्रोता ठहाके लगाते रहे. हिंदी व भोजपुरी रस के जाने-माने कवि संजय मिश्र संजय की रचना ‘घर मुक्कमल नहीं है बेटों से, बेटी घर की तमीज होती है’ को श्रोताओं ने खूब सराहा. युवा कवि मधुसुदन मिश्र की रचना ‘कौन सा जन, कैसा गणमण, किसका भाग्य विधाता, हफ्ते भर का चावल हरिया, बेटी बेच कर लाता’ की जम कर तारीफ की गयी. वहीं, दुर्गाचरण पांडेय की कविता ‘का कहीं उम्र अपना ठलान पर बाटे, जिंदगी अपना किराये के मकान पर बाटे’ की खूब सराहना की गयी. अमलानंद पांडेय शर्मिला, कांता द्विवेदी आदि कवियों ने भी अपनी-अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता धर्मनाथ तिवारी तथा संचालन विवका नंद मिश्र ने किया. इस मौके पर आशुतोष पांडेय, मिथिलेश रावत, राम नरेश मिश्र, संतोष सिंह, रमेश कुमार सहित कई गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

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