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कला को अपमान व अहंकार नहीं प्रोत्साहन व सम्मान चाहिए

गीतों में फूहड़ता से संस्कृति को खतरा हैसंवाददाता, बैकुंठपुरकला अपमान सहन नहीं करती है. अहंकार से कला का विनाश होता है. कला के विकास के लिए लगन, प्रोत्साहन व कलाकार को सम्मान देना अति आवश्यक है. प्रखंड के सिरसा स्थित साहित्य कुंज परिसर मे स्थानीय रंगकर्मी साहित्यकार व प्रखंड समाज सचेतकों की एक आवश्यक बैठक […]

गीतों में फूहड़ता से संस्कृति को खतरा हैसंवाददाता, बैकुंठपुरकला अपमान सहन नहीं करती है. अहंकार से कला का विनाश होता है. कला के विकास के लिए लगन, प्रोत्साहन व कलाकार को सम्मान देना अति आवश्यक है. प्रखंड के सिरसा स्थित साहित्य कुंज परिसर मे स्थानीय रंगकर्मी साहित्यकार व प्रखंड समाज सचेतकों की एक आवश्यक बैठक भोजपुरी कवि विपिन बिहारी सिंह बैकुंठपुरी की अध्यक्षता में आयोजित हुई. बैठक में उक्त बातों की चर्चा बड़ी गंभीरता से हुई. साहित्य व कला में भेदभाव बरते जाने की बातों पर विरोध जताते हुए बुद्धिजीवियों ने चिंता जतायी. अपनी संस्कृति के विकास को लेकर राष्ट्रीय सभ्यता व संस्कृति के रक्षार्थ एक समवेत सामाजिक अभियान चलाने पर जोर दिया गया. साथ ही वर्तमान साहित्य, काव्य कला में आयी अश्लीलता व विकृतियों के विरुद्ध जन आंदोलन चला कर सामाजिक तौर पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता जतायी गयी. भोजपुरी गीतों मे फूहड़ता से संस्कृति को खतरा पहुंचने की बात कही गयी. साहित्य एवं सामाजिक कार्यकर्ता मोइनुल हक मीनू ने विचार प्रकट करते हुए कहा कि बैकुंठपुर की उर्वर धरती ने एक से बढ़ कर एक कला रत्नों को जन्म दिया है. अतीत से अब तक कीर्तिमान स्थापित करने में अपना पहचान बनायी है. गीतों के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे समाज में गलत असर पड़ रहा है. गीत वैसी हो जो परिवार संग सुना व गाया जा सके. बैठक में राजेश्वर प्रसाद, ब्रजकिशोर, डबल व्यास, अवधेश सिंदुरिया, अनिल पांडेय, मोहन सिंह, भुवनेश्वर सिंह, विजय प्रसाद सहित दर्जनों कलाकार मौजूद थे.

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